
पूर्व राज्यपाल पंडित केशरी नाथ त्रिपाठी ने आज सुबह 5 बजे प्रयागराज में अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। घर पर ही उन्हें ऑक्सीजन के साथ ही पेय पदाथ भी नली की मदद से दिया जा रहा है। शनिवार को उनकी तबीयत एक बार फिर से बिगड़ गई। उनका ऑक्सीजन का स्तर घटने की वजह से उनके परिजनों ने पीजीआई लखनऊ ले जाने की तैयारी शुरू कर दी थी।
केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे नीरज के अनुसार जब 30 दिसंबर को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो तुरंत ही फैमिली डॉक्टर को बुलाया गया। डॉक्टर के सलाह पर उन्हें प्रयागराज के एक्यूरा क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल के ICU में भर्ती कराया गया। आराम मिलने पर घर लाया गया था। 8 जनवरी सुबह करीब 5 बजे उन्होंने अपने आवास पर अंतिम सांस ली।
सीएम योगी ने व्यक्त की शोक संवेधना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा “वरिष्ठ राजनेता, भाजपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य, प. बंगाल के पूर्व राज्यपाल आदरणीय केशरी नाथ त्रिपाठी जी का निधन अत्यंत दुःखद है।
प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति दें। ॐ शांति!”
दो बार हो चुके थे कोरोना संक्रमित
केशरीनाथ त्रिपाठी दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए थे। लखनऊ के SGPGI में उनका लंबा इलाज चला था। दरअसल, कुछ दिन पहले ही वह बाथरूम में फिसलकर गिर गए थे, जिससे उनका दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया था। उसी के बाद से वह शारीरिक रूप से कमजोर होते गए।
पंडित केशरी नाथ का राजनीतिक सफर
केसरी नाथ त्रिपाठी का जन्म 10 नवंबर 1934 को हुआ था। केशरी नाथ त्रिपाठी का लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में त्रिपाठी का झंडा चार दशकों तक बुलंद रहा। 1946 में वह स्वयंसेवक बन गए।1952 में भारतीय जनसंघ में कार्यकर्ता की तरह जुड़े और काम शुरू किया। कश्मीर आंदोलन में भाग लेते हुए जेल की सजा काटी। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने के चलते 1990 में 23 अक्टूबर से 10 नवंबर तक जेल में बंद रहे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1953 में स्नातक और 1955 में एलएलबी की परीक्षा पास की एक वर्ष की वकालत करके 1956 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए।
जिन्होंने जुलाई 2014 से जुलाई 2019 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। उनके पास बिहार, मेघालय और मिजोरम के राज्यपाल के रूप में छोटे कार्यकाल के लिए अतिरिक्त प्रभार भी था। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। वे तीन बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष रहे हैं।
वह छह बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य थे। 1977-1980 झूसी विधानसभा और 1989 से लेकर 2007 तक इलाहाबाद दक्षिण सीट से लगातार पांच बार विधायक बनें। यूपी में 1977 से 1979 तक जनता पार्टी के शासन में वह कैबिनेट वित्तमंत्री बने। 1980 में जब भाजपा पार्टी बनी तब वह वह बीजेपी में शामिल हो गए। 14 जुलाई 2014 को उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया और 24 जुलाई को शपथ ली। उनके पास 4 राज्यों का राज्यपाल के रूप में अतिरिक्त प्रभार था।
केसरी नाथ त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता के साथ एक लेखक और कवि भी थे। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं। उनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ 'मनोनुकृति' और 'आयु पंख' हैं। उनकी पुस्तक 'संचयता' की बहुत प्रशंसा हुई। इसके अलावा उन्होंने न केवल हिंदी में बल्कि अंग्रेजी में भी कई किताबें लिखी हैं। वह भारत और विदेशों में होने वाले हिंदी कवि सम्मेलन का भी हिस्सा रहे हैं।
Updated on:
08 Jan 2023 09:24 am
Published on:
08 Jan 2023 08:46 am
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