
Bathing in cold water in Maha Kumbh
Prayagraj River Pollution: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को एक रिपोर्ट में सूचित किया है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेले के दौरान विभिन्न स्थानों पर नदी के पानी में फीकल कोलीफॉर्म का स्तर स्नान की गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रहा है।
प्रयागराज महाकुंभ स्नान चल रहा है। अब तक 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। इस बीच सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट आई है। इसमें बताया गया है कि दोनों नदियों का पानी स्नान करने योग्य नहीं है। CPCB ने 17 फरवरी को अपनी रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में दाखिल की है।
CPCB ने 9 से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में कुल 73 अलग-अलग जगहों से सैंपल इकट्ठा किया। अब उसके जांच के नतीजे जारी किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 6 पैमानों पर गंगा और यमुना नदी के पानी को जांचा गया है। इसमें पीएच यानी पानी कितना अम्लीय या क्षारीय है, फीकल कोलीऑर्म, BOD यानी बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, COD यानी केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्बड ऑक्सीजन शामिल है। इन छह पैमानों पर जितनी भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाया गया है। इसके अलावा 5 अन्य पैमानों पर पानी की गुणवत्ता मानक के अनुरूप है।
अब आइए पढ़ते हैं पत्रिका के उस रिपोर्ट को जिसमें बताया गया था कि "महाकुंभ में जियो ट्यूब तकनीक के बाद भी आचमन युक्त नहीं गंगा का पानी"
महाकुंभ 2025 की तैयारियों में गंगा की स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है। इस बार स्नान के लिए आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को पहले से ज्यादा निर्मल और आचमन योग्य गंगा जल देने की कोशिश की जा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की सख्त निगरानी में गंगा में गिरने वाले 23 अनटैप्ड नालों के पानी को पूरी तरह से ट्रीट करने के बाद ही छोड़ा जा रहा है।
इसके लिए प्रयागराज नगर निगम और यूपी जल निगम, नगरीय ने जियो ट्यूब तकनीक पर आधारित अस्थायी ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हैं, जो 24 घंटे काम कर रहे हैं। लेकिन इस तकनिकी के इस्तेमाल के बाद भी आचमन योग्य गंगा जल श्रद्धालुओं को नहीं मिल पा रहा है। इसकी पुष्टि प्रोजेक्ट मैनेजर विकास जैन ने भी की है।
Published on:
18 Feb 2025 04:58 pm
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