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ममता कुलकर्णी का भगवा आतंक नहीं चलने दूंगी, ताली फेम गौरी मां बोलीं- भगवा दुपट्टा ओढ़ने से कोई महामंडलेश्वर नहीं बन जाता

Prayagraj News: प्रयागराज में किन्नर अखाड़े को लेकर बढ़ते विवाद के बीच ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत ने ममता कुलकर्णी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि भगवा दुपट्टा ओढ़ने से कोई महामंडलेश्वर नहीं बन जाता।

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gauri sawant slams mamta kulkarni on mahamandleshwar controversy kinner akhada

ममता कुलकर्णी का भगवा आतंक नहीं चलने दूंगी | Image Source - 'FB' @tggaurisawant

Gauri sawant slams mamta kulkarni controversy: प्रयागराज में किन्नर अखाड़े को लेकर छिड़े विवाद के बीच ताली मूवी में दिखाई गई शख्सियत और ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट गौरी सावंत ने ममता कुलकर्णी पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि भगवा दुपट्‌टा ओढ़ने से कोई महामंडलेश्वर नहीं बन जाता। अगर ऐसा होने लगे तो सदियों से तपस्या करने वाले संतों का अपमान होगा। ममता कुलकर्णी का भगवा आतंक मैं चलने नहीं दूंगी।

किन्नर अखाड़े के उद्देश्यों से भटकने का आरोप

गौरी सावंत ने बताया कि वह 2014 में गठित किन्नर अखाड़े की संस्थापक सदस्य थीं, लेकिन जल्द ही अखाड़ा अपने मूल उद्देश्यों से दूर होता गया। गौरी ने कहा कि इस अखाड़े के चार मुख्य उद्देश्य थे- धार्मिक पहचान, धार्मिक आयोजनों में सम्मानजनक भागीदारी, समाज को मुख्यधारा में शामिल करना और सनातन धर्म में वापसी।

क्यों बदली गई थी कमला मौसी की दावेदारी?

गौरी सावंत ने एक चौंकाने वाली बात भी कही। उनका दावा है कि उज्जैन में अखाड़े की स्थापना के समय कमला मौसी को महामंडलेश्वर बनाया जाना था, लेकिन अंतिम क्षणों में घटनाक्रम बदल गया और लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को यह पद दे दिया गया। गौरी ने कहा कि वह कुछ बातें सार्वजनिक नहीं कर सकतीं, लेकिन बदलाव अचानक और संदिग्ध था।

गौरी सावंत की निजी कहानी: संघर्षों से भरी जिंदगी

पुणे में 1979 में जन्मी गौरी सावंत ने बताया कि डॉक्टर ने उनके पिता से कहा था- बधाई हो, बेटा हुआ है। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, वह अपनी पहचान से जूझने लगीं। सात साल की उम्र में मां के निधन के बाद उनका बचपन दादी की साड़ियों और लड़कियों के साथ खेलने में बीता। समाज ने उन्हें ताने दिए और पिता ने दूरी बना ली।

मुंबई में भूख, भेदभाव और संघर्ष

मुंबई पहुंचकर कुछ दिनों तक उन्होंने भूख झेली, सिग्नल पर खड़ी रहीं, लेकिन एक फटा 5 रुपये का नोट उनके लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ। उन्होंने ठान लिया कि भीख नहीं मांगूंगी, न सेक्स वर्कर बनूंगी। मुझे सम्मान की जिंदगी जीनी है। बाद में वह दादर में ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ रहने लगीं और कंचन अम्मा की शिष्य बनकर सामाजिक कार्य शुरू किया।

गौरी से सावंत बनने तक

मुंबई में हमसफर ट्रस्ट के संपर्क में आने के बाद उन्होंने वेजिनोप्लास्टी करवाई और गणेश नंदन से हमेशा के लिए गौरी सावंत बन गईं। 2000 में सखी चार चौघी संस्था बनाई, जो आज भी किन्नर समुदाय के बच्चों और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करती है।

ताली मूवी, कैसे बनी स्क्रीन पर गौरी की कहानी

गौरी ने बताया कि वेब सीरीज ताली में उनकी जिंदगी के संघर्षों और उपलब्धियों को दिखाया गया है। सुष्मिता सेन द्वारा निभाई गई भूमिका में बारिश में अस्पताल के बाहर धरना देने से लेकर किन्नरों के अधिकारों के लिए उनकी कानूनी लड़ाई तक सब कुछ शामिल है। गौरी ने कहा कि ताली सिर्फ मेरी नहीं, हर उस किन्नर की कहानी है जो चौराहे पर ताली बजाता दिखता है।

गौरी सावंत की आध्यात्मिक सोच

गौरी ने कहा कि वह अनाथ बच्चों की सेवा करती हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हम भले ही किन्नर हैं, मगर सनातनी हैं। भगवान पर किसी का अधिकार नहीं कि सिर्फ स्त्री या पुरुष ही पूजा करें। सनातन को जेंडर में मत बांटो।

ममता कुलकर्णी का विवादित बयान, फिर हुआ यू-टर्न

गोरखपुर दौरे के दौरान ममता कुलकर्णी ने कहा था कि दाऊद इब्राहिम आतंकी नहीं है, उसने कोई बम ब्लास्ट नहीं किया। उनके इस बयान से देशभर में बवाल मच गया। बाद में एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने सफाई दी कि दाऊद इस देश का टेररिस्ट है और रहेगा। मेरे बयान को गलत दिखाया गया।

ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने से नाराजगी

ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद टीना मां नाराज हो गईं और 5 नवंबर को सनातनी किन्नर अखाड़ा की स्थापना कर दी। पट्टाभिषेक के दौरान 51 ब्राह्मणों ने मंत्रोच्चार किया और किन्नरों ने डमरू वादकों की धुन पर नृत्य किया। टीना मां ने संजनानंद गिरी को महामंडलेश्वर और संध्यानंद गिरी को श्रीमहंत नियुक्त किया।