
गिरधर मालवीय
इलाहाबाद. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना के प्रपौत्र जस्टिस गिरधर मालवीय ने कहा है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय का नाम बदलना पूरी तरीके से गलत है। उन्होंने कहा कि जब महामना ने हैदराबाद के निजाम से विश्वविद्यालय बनवाने के लिए कहा तो निजाम ने महामना से भरे दरबार में पूछा कि वह हिंदू विश्वविद्यालय बनवाने के लिए पैसा क्यों देंगे, जिस पर महामना ने अपने तर्क रखे थे। महामना ने निजाम से कहा कि हिंदू कोई धर्म नहीं है, बल्कि हिंदू एक संस्कृति है और जीने का तरीका है। भारतवर्ष में जैन धर्म बौद्ध धर्म और सनातन धर्म है, लेकिन हिंदू एक धर्म नहीं है। जस्टिस गिरधर मालवीय के अनुसार हिंदू अंग्रेजी के इंडस शब्द का प्रयायवाची है ।
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जस्टिस मालवीय ने बताया कि बीते समय में ईरान के लोग सिंधु नदी के किनारे सिंधु नदी के इस पार रहने वालों को हिंदू कहते थे । हिंदू एक मान्यता है कोई धर्म नहीं है। गिरधर मालवीय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदूज् वे ऑफ लाइफ । उन्होंने कहा कि हिंदू को किसी स्थान या रिलीजन के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
गिरधर मालवीय ने कहा कि भारत वर्ष की संस्कृति काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बसती है। भारत की संस्कृति की पहचान है काशी हिंदू विश्वविद्यालय, इसलिये उसके नाम को नहीं बदला जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि महामना के समय से ही हिंदू शब्दों को लेकर बहुत सी आपत्तियां हुई थी, लेकिन महामना ने कहा था कि भारतवर्ष के महान दानदाताओं ने इस विश्वास पर इसको बनाने का प्रयास किया है और अपना सहयोग दिया है क्योंकि इसे हिंदू विश्वविद्यालय बनाया जाना है। उनके अनुसार हिंदू धर्म सनातन धर्म का एक हिस्सा है ना कि हिंदू धर्म है मुस्लिम धर्म की कोई प्राइवेसी नहीं है मुस्लिम शब्द की पर्यायवाची नहीं है वह शब्द है उसके लिए उनकी इच्छा जो चाहे वह करें।
बता दें कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के सरकारी ऑडिट में काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया गया है। ऑडिट में कहा गया कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 'हिंदू' और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से 'मुस्लिम' शब्द हटाया जाये।
BY- Prasoon Pandey
Updated on:
09 Oct 2017 02:34 pm
Published on:
09 Oct 2017 01:40 pm
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