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कोर्ट को गुमराह करने पर आपराधिक मुकदमा कायम करने का निर्देश

पांच लाख रुपये हर्जाने के साथ याचिका खारिज।

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Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने झूठा हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में गाजियाबाद के विजय नगर थाना क्षेत्र के डूंडाहेड़ा गांव के निवासी महेश चंद शर्मा के खिलाफ आपराधिक मुकदमा कायम करने का निर्देश दिया है और 5 लाख हर्जाने के साथ याचिका खारिज कर दी है। हर्जाना राशि एक माह के भीतर महा निबंधक के समक्ष जमा करने का निर्देश दिया है जो हाई कोर्ट विधिक सेवा अधिकरण को भेजा जाएगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने महेश चंद्र शर्मा की याचिका पर दिया है। याचिका में याची के खिलाफ गौतमबुध नगर के बिसरख थाने में 14 अगस्त 2019 को दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की गई थी।

प्राथमिकी के तहत याची पर धोखाधड़ी करने, लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने ,सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने जैसे आरोप लगाए गए हैं। याची सूरज एसोसिएट कंपनी का भागीदार है।

याची का कहना था कि फर्म ने शाहबेरी गांव में 20 जुलाई 2013 को रिहायशी कॉलोनी के लिए जमीन ली। फर्म का नाम भी राजस्व दस्तावेज में दर्ज हो गया। ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने शाहबेरी गांव की जमीन का 2009 में अधिग्रहण किया था। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया और इस आदेश के खिलाफ एसएलपी भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद याची ने नक्शा पास करने के लिए प्राधिकरण के समक्ष आवेदन दिए किन्तु प्राधिकरण ने यह कहते हुए नक्शा नहीं पास किया कि वह उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

बाद में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में एफ आई आर दर्ज कराई गई है। याची फर्म का भागीदार है। कोर्ट ने याची से भूमि अधिग्रहण की अधिसूचनाओं सहित हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति हलफनामे में मांगी। जिसमें बताया गया कि 10 जून 2009 और 9 नवंबर 2009 को जमीन का अधिग्रहण किया गया था। जिसे 12 मई 2011 को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने भी 6 जुलाई 2011 को एसएलपी खारिज कर दी।

ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय ने कोर्ट को बताया कि याची ने कोर्ट को गुमराह किया है। वास्तव में जमीन का अधिग्रहण 29 जून 2013 को हुआ और 9 सितंबर 2014 को कब्जा भी ले लिया गया। इस अधिग्रहण को साहित्य प्रचार ट्रस्ट ने चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2014 को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। इस तथ्य को कोर्ट से जानबूझकर छिपाया है।

By Court Correspondence