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नेहरू की जन्मस्थली से हटेगा रेड लाइट एरिया

रेडलाइट एरिया मीरगंज से सौ मीटर की दूरी पर बच्चों का स्कूल है। इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं।

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Sujeet Verma

Jan 14, 2016

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इलाहाबाद.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मीरगंज मोहल्ले से रेड लाइट एरिया को 30 मार्च तक हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इलाहाबाद के डीएम और कमिश्नर को इसके लिए कोई दूसरी जगह तलाशने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि रेडलाइट एरिया मीरगंज से सौ मीटर की दूरी पर बच्चों का स्कूल है। इसमें लगभग एक हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। बताते चलें कि मीरगंज जवाहरलाल नेहरू की जन्मस्थली है।


कोर्ट ने कहा कि यह जगह देश के पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की जन्मस्थली है। इसके अलावा यहां कई स्कूल और सर्राफा बाजार भी है। इसलिए इसे यहां से हटाया जाये। कोर्ट ने यह फैसला अधिवक्ता सुनील कुमार चौधरी की जनहित याचिका पर दिया है। इस मामले की सुनवाई 30 मार्च को होगी।


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ व जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि इलाहाबाद के रेड लाइट एरिया में आए दिन लड़कियों को बेचने की खबर मिलती है। कई बार नाबालिग लड़कियों को बाहर से लाए जाने की सूचना मिला। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई बार रेड भी डाली। इसमें लड़कियों की गिरफ्तारी भी हुई। इसके अलावा प्रदेश सरकार द्धारा दाखिल हलफनामे में कहा है कि इलाहाबाद का रेड लाइट एरिया मीरगंज पंजीकृत वेश्यालय नहीं है।


मीरगंज में पैदा हुए थे जवाहर

जवाहरलाल नेहरू के जन्म के वक्त पिता पंडित मोतीलाल नेहरु के आर्थिक हालत बहुत ज्यादा अच्छे नहीं थे। वे मीरगंज इलाके में एक किराए के मकान में रहते थे। यहीं पर 14 नवंबर 1889 को जवाहर पैदा हुए थे। बताया जाता है कि जन्म के लगभग दस साल बाद तक नेहरू परिवार यहीं पर रहा। इसके बाद नेहरू परिवार आनंद भवन जाकर शिफ्ट हो गया। मौजूदा वक्त में मीरगंज में वह मकान नहीं है, जहां पर नेहरू पैदा हुए थे, दरअसल, 1931 में सफायी अभियान के तहत नगर पालिका ने उसे गिरा दिया था।


पहले होती थी नगर वधुएं

बीते जमाने में रेड लाइट एरिया या सेक्स वर्कर का चलन नहीं था। उस वक्त इन्हें नगर वधुओं के नाम से जाना जाता था। स्थानीय लोग बताते हैं कि आजादी के पहले तक यहां मुजरा हुआ करता था। उस वक्त जमींदार और रईस लोग यहां नृत्य और दूसरी तरह ऐशोआराम का लाभ उठाने के लिए आते थे। उस वक्त तो सिर्फ चार- पांच ही मशहूर कोठे हुआ करते थे। हालांकि, समय के साथ-साथ अब सब बदल गया है, यहां सिर्फ देह व्यापार का एक अड्डा बनकर रह गया है।


ज्वैलरी की भी है बड़ी मार्केट

ऐसा नहीं है कि मीरगंज का इलाका सिर्फ रेड लाइट एरिया के रूप में जाना जाता है, यहां ज्वैलरी की भी काफी बड़ी मार्केट है। ज्वैलरी का यहां 60 फीसदी से ज्यादा काम होता है। मीरगंज की तंग गलियों में अब भी सोने-चांदी का कारीगरी करते हुए कारीगर आसानी से मिल जाएंगे। यहां पर ज्वैलरी का करोड़ों रुपए का बिजनेस होता है। इसके अलावा आसपास के जिलों में भी ज्वैलरी की सप्लाई की जाती है।