
Indian Heritage
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में इन दिनों उसकी खूबसूरती पर चार चांद लग गए है।लोग विश्वविद्यालय की साइंस फैकल्टी में बने विजयनगरम हॉल को देखने आ रहे हैं। विजयनगरम हॉल फिल्मों में दिखाए जाने वाले रंग महल की तरह दिख रहा है। सालों से कबाड़खाना बना विजयनगरम हाल एक बार फिर अपनी रौनक पर है। कभी शिक्षा से लेकर राजनीति के भी बड़े फैसले यही लिए गये है।इस हाल को सजाने संवारने की जिम्मेदारी मुंबई की सावनी हेरिटेज कंजर्वेशन कंपनी को दिया गया है। जिसने देश और दुनिया को आकर्षित करने वाले मुंबई के ताज महल पैलेस, मुंबई हाईकोर्ट गुजरात के सूरत कैसल और मुंबई की राजधानी टावर को नया जीवन दिया था।
आकर्षित कर रही इमारत
1887 में यह शानदार हॉल बनकर तैयार हुआ था। तब इस गुंबद पर सुनहरे नीले रंग की टाइल्स लगी थी। लेकिन कुछ साल पहले विश्वविद्यालय में इसकी मरम्मत के दौरान इसके टाइल्स का रंग बदल दिया गया जो आकर्षक नहीं था। लेकिन सैकड़ों बरस पुरानी इमारत के गुंबद पर एक बार फिर सुनहरे नीले रंग की टाइल्स शहरवासियों को बेहद आकर्षित कर रही है। इंजीनियर गुफरान बताते हैं कि हर टाइल्स हाथ से तैयार की जाती है।लाल सुर्ख पत्थरों से बनाया गया यह हॉल बेहद आकर्षित कर रहा है। गुफरान के मुताबिक पत्थरों पर लाल रंग की पेंटिंग करा दी गई थी जिससे जीर्णोद्धार करने में बेहद मुश्किल हो रही है। वाटर प्रेशर से इसके रंग को निकाला जा रहा है,साथ ही इस बात का भी ख्याल रखा जा रहा है कि इससे इमारत को कोई क्षति न पहुंचे। फर्स की टूटी टाइल्स को भी लगाया जा रहा है। खास तरह की लकड़ियों से हाल की खिड़कियां सजाई जा रही है। पूरे हाल में झूमर झालर और एलईडी लाइट लगाकर इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाया जा रहा है।
2015 से चल रहा है काम
विजयनगरम हॉल को इंडियन नेशनल ट्रस्ट ऑफ आर्ट एंड कल्चर के विशेषज्ञों की देखरेख में सजाया जा रहा है। इस ऐतिहासिक इमारत के संरक्षण के लिए यूजीसी योजना के तहत इसका काम 2015 में शुरू हुआ था।इसके लिए साढ़े सात करोड़ रुपए मिले थे। इसकी जिम्मेदारी राइट्स को दी गई थी। लेकिन पैसे के अभाव में इसके काम रुक गए लेकिन कुलपति प्रोफेसर रतनलाल हंगलू की पहल पर 2018 में सरकार से शुरू हुआए इंजीनियर ने बताया कि जुलाई के अंत तक यह काम पूरा हो जाएगा।
गवर्नर जर्नल ऑफ इंडिया लॉर्ड नार्थ ब्रोक में रखी थी नींव
साइंस फैकल्टी में बनाई गई नक्काशी बेहद आकर्षक है। इस हाल की बुनियाद 19 दिसंबर 1873 को गवर्नर जर्नल ऑफ इंडिया लॉर्ड नार्थ ब्रोक में रखी थी। तब इसे मोर सेंट्रल कॉलेज के नाम से जाना जाता था। कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल की डिजाइन तैयार करने वाले आर्किटेक्ट विलियम इमरसन ने इसका डिजाइन तैयार किया था।12 साल के बाद 18 अप्रैल 1886 में हाल बनकर तैयार हुआ था। तब इसके निर्माण में आठ रुपए खर्च हुए थे। हॉल में 31 राजाओं के नाम पत्थर पर लिखे गए हैं।
लेजिसलेटिव काउंसिल ऑफ द नार्थ वेस्टर्न प्रेसिडेंट की विजयनगरम में हुई थी बैठकें
बेहद नक्काशी दार खूबसूरत इस हाल में उत्तर प्रदेश के विधान मंडल की बैठक भी की जा चुकी है ब्रिटिश काल के दौरान उत्तर प्रदेश के भाग्य का फैसला यहां बैठकर लिखा गया था।तब उत्तर प्रदेश नार्थ वेस्टर्न प्रेसिडेंट एंड अवध के नाम से जाना जाता था।इससे 1888 में लेजिसलेटिव काउंसिल ऑफ द नार्थ वेस्टर्न प्रेसिडेंट एंड अवध नामक विधानमंडल की विजयनगरम में तीन बैठकें हुई थी। तब अल्फ्रेड लाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में अनुसूचित जाति व बालिकाओं को शिक्षित करने का प्रस्ताव यहां बना था। विधान मंडल के सदस्य पंडित अयोध्या नाथ पाठक, मौलवी सैयद अहमद ,खान राजा प्रताप नारायण सिंह, राय बहादुर दुर्ग प्रसाद, जेडब्ल्यू क्लिंटन ने यहां बैठकर चर्चा की थी। विजयनगरम हाल गौरवपूर्ण इतिहास का भी साक्षी रहा है।
Updated on:
09 Jul 2019 08:50 pm
Published on:
09 Jul 2019 04:29 pm
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