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महाकुंभ के ‘एकात्म धाम’ में आदि शंकराचार्य के जीवन प्रसंग पर आयोजित कथा में शामिल हुए जगदीश देवड़ा

महाकुंभ में इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन एकात्म धाम पहुंचे। उन्होंने अद्वैत लोक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि एकात्म धाम की कल्पना अविस्मरणीय है।  स्वामी गोविन्ददेव गिरि ने कहा कि आचार्य शंकर ने तीर्थो, शास्त्रों एवं परंपराओं का उद्धार किया है।  

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महाकुंभ

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा अद्वैत वेदान्त दर्शन के लोकव्यापीकरण एवं सार्वभौमिक एकात्मता की संकल्पना के उद्देश्य से महाकुम्भ क्षेत्र के सेक्टर 18 में स्थापित एकात्म धाम मंडपम्, हरीशचंद्र मार्ग में आचार्य शंकर के जीवन दर्शन पर केंद्रित ‘शंकरो लोकशंकर:’ कथा के दूसरे दिन मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा सम्मिलित हुए।

उन्होंने न्यास द्वारा प्रदर्शित अद्वैत लोक, पुस्तक प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर उन्होंने कथा व्यास राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरि महाराज का पुष्पहार एवं आचार्य शंकर का चित्र भेंटकर स्वागत किया। ज्ञात हो कि कथा का आयोजन 12 फरवरी तक प्रतिदिन शाम 04 बजे से होगा।

आचार्य शंकर की कथा कहते हुए पूज्य श्री गोविंद गिरि जी महाराज ने श्रेष्ठ आचरणों पर बात करते हुए कहा कि आप परमात्मा के प्रति होते हैं तो संपूर्ण सृष्टि आपकी सेवा के लिए लालायित हो उठती है। आचार्य शंकर के दर्शन और स्वाध्याय पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति साधना को महत्व देता है, धीरे-धीरे उसके अंदर दैवीय गुण उत्पन्न होने लगते हैं। आदिगुरु शंकराचार्य ने हमें बैकुंठ जाने जैसे छोटी चीजें नहीं सिखाई, उन्होंने हमें अपने अंदर बैकुंठ के दर्शन करने की प्रक्रिया सिखाई। श्रीमद् भागवत जैसा शुद्ध वेदांत आपको कहीं नहीं मिलेगा,यह स्वयं में पूर्ण है।

कथा के दूसरे दिवस पर आचार्य शंकर के सन्यास, कालड़ी से ओंकारेश्वर तक की यात्रा, गुरु की खोज, नर्मदाष्टकं की रचना और ओंकारेश्वर से काशी आगमन आदि प्रसंगों का उल्लेख किया। इस अवसर पर साधु संतो सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि कथा का आयोजन 12 फरवरी तक प्रतिदिन शाम 04 से 06 बजे तक होगा। 

इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन भी एकात्म धाम शिविर पहुंचे, जहां उन्होंने अद्वैत लोक प्रदर्शनी का अवलोकन कर प्रतिमा पर पुष्पांजलि  अर्पित की व विचार व्यक्त किये । उन्होंने कहा, यहाँ आकर मुझे आदिगुरु शंकराचार्य का आशीर्वाद मिला, यह मेरे लिए प्रसन्नता का विषय हैं “इसरो देश की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है।” हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले देश बने और वहां पानी के संकेत ढूंढने में सफल हुए। इसरो की आज जो उपलब्धि है, वह भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिक मूल्यों की देन है।

मध्यप्रदेश शासन के एकात्म धाम प्रकल्प की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “जो कार्य मध्यप्रदेश सरकार कर रही है, वह सचमुच प्रशंसनीय है। लड़कर नहीं अपितु एकात्मता के माध्यम से मानवता को जोड़कर एक विकसित राष्ट्र का संकल्प पूर्ण होगा।

उन्होंने कहा इसरो के सभी 20,000 कर्मचारी अपनी पूरी क्षमता के साथ देश की सेवा के लिए संकल्पित हैं। आगामी परियोजनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि “चंद्रयान 4, चंद्रयान 5, नए लॉन्चर्स और लॉन्चपैड्स जैसे कई प्रोजेक्ट्स इसरो द्वारा विकसित किए जाएंगे।” उन्होंने आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के इस प्रयास के प्रति आभार जताया। वहीं मांडूक्योपनिषद पर स्वामिनी सद्विद्यानन्द सरस्वती एवं ध्यान सत्र में स्वामी योगप्रताप सरस्वती ने युवाओं को सम्बोधित किया।