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क्राइम सीन रिक्रिएशन क्या है? जिसकी मदद से अतीक अहमद हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने का प्रयास कर रही है पुलिस

Crime Scene Recreation: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के बाद यूपी पुलिस ने आज हत्या की घटना का सीन रिक्रिएशन किया। आइए, जानते हैं कि आखिर क्राइम सीन रिक्रिएशन क्या है और यह कैसे किया जाता है?

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Crime Scene Recreation

क्राइम सीन रिक्रिएशन करती टीम

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में शनिवार देर रात गोली मारकार हत्या हो गई। अतीक और उसके भाई की गोली मार कर हत्या करने वाले शूटरों को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी है। आज प्रयागराज के कॉलविन अस्पताल जहां अतीक और उसके भाई की हत्या को अंजाम दिया गया था, वहां न्यायिक आयोग की टीम, एसआईटी और फॉरेंसिक टीम ने अतीक और उसके भाई की हत्या का सीन रिक्रिएशन किया। अब ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर क्राइम सीन रिक्रिएशन क्या है और यह कैसे किया जाता है?

क्यों जरूरत पड़ती है क्राइम सीन रिक्रिएशन की ?
कई बार घटना जैसी दिख रही होती है, असलियत में वैसी होती नहीं। उदाहरण के तौर पर एक घटना लेते हैं जो शुरू में एक साधारण सड़क दुर्घटना लग रहा था। लेकिन बाद में मृतक के परिवार वालों ने आरोप लगाया की यह दुर्घटना नहीं बल्कि यह एक सोची समझी हत्या है। मृतक के परिवारवालों ने बताया कि पीड़ित की हत्या कर उसके शव को गाड़ी के नीचे रख दिया गया ताकि ऐसा लगे की यह सड़क दुर्घटना से हुई है। बाद में पीड़ित परिवार के आरोप के बाद घटना का सीन रिक्रिएशन किया गया। और फॉरेंसिक टीम की जांच के बाद मामला सामने आया की वाकई में वह घटना हत्या का था।

क्राइम सीन रिक्रिएशन क्या होता है?
इस प्रक्रिया के तहत घटना कब हुई, कैसे हुई, कहां हुई, किसने किया और क्यों किया ? इन मामलों को ध्यान में रखते हुए पूरे घटना की एक स्क्रिप्ट तैयार की जाती है और ठीक उसी तरह फिल्माया जाता है जैसे असल घटना हुई हो। इन्हीं सिद्धांतों पर क्राइम सीन रिक्रिएशन काम करता है। इस प्रक्रिया में घटनास्थल की वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जांच की जाती है और साथ ही घटना के जीतने भी ऐंगल हो सकते हैं उसे कर के देखा जाता है। घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्यों की लैब में जांच की जाती है और पूरे घटनाक्रम की स्टडी करने के बाद एक थ्योरी तैयार की जाती है।

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क्राइम सीन रिक्रिएशन कैसे होता है?
क्राइम सीन रिक्रिएशन की प्रक्रिया की शुरुआत पीड़ित या गवाहों की तरफ से दर्ज बयानों की मदद से होती है। यदि पीड़ित की मौत हो गई है तो उस घटना से संबंधित गवाहों या घटनास्थल पर मौजूद किसी गवाह से पूछताछ की जाती है और फिर आगे की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। घटनास्थल पर मौजूद हर एक साक्ष्य की बड़े ही सावधानी के साथ फोटोग्राफी और विदेओग्राफी की जाती है। जांचकर्ता पूरे मामले को बारीकी से विश्लेषण करता है।

उदाहरण
उदाहरण के तौर पर अगर किसी को गोली लगी है और यह संशय बना हुआ है कि आखिर यह हत्या है या आत्महत्या तो फिर इस स्थिति में क्राइम सीन रिक्रिएशन किया जाता है। इसमें खून के धब्बे, गोली चलने की दिशा, शूटरों की टारगेट से दूरी, गोलियों के निशान, गोली लगने की जगह, घटनास्थल पर मौजूद किसी तरह का कोई साक्ष्य, इस तरह की हर एक चीज की गहराई से जांच की जाती है। इसी तरह की प्रक्रिया आत्महत्या के मामले में भी अपनाई जाती है। जैसे फंदे की लंबाई, मृतक की लंबाई, छत से व्यक्ति की लंबाई, घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्य, गले के निशान आदि की जांच की जाती है और फिर उसकी बारीकी से जांच होती है।