
कोर्ट ने अपहरण के इस मामले में अतीक के अलावा हनीफ, दिनेश पासी को भी दोषी पाया है।
17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में आज प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद समेत 3 आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने अपहरण के इस मामले में अतीक के अलावा हनीफ, दिनेश पासी को भी दोषी पाया है।
कोर्ट ने तीनों पर 1- 1 लाख का जुर्माना भी लगाया। 43 साल में पहली बार अतीक अहमद को किसी मामले में सजा मिली है। इस सजा को प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने सुनाया है। आइए जानते हैं क्या है एमपी-एमएलए कोर्ट, जिसने अतीक को उम्रकैद की सुनाई सजा। क्या है इसका काम....
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाया गया MP/MLA कोर्ट
साल 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक निर्णय में आदेश दिया था कि सांसदों और विधायकों के लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने के लिए देश भर में विशेष अदालतें स्थापित की जाए।
10 विशेष न्यायालय कार्य कर रहे हैं
इसके बाद 11 राज्यों में विशेष रूप से मौजूदा सांसदों और विधायकों के मुकदमों की सुनवाई के लिए 12 विशेष अदालतें स्थापित की गईं। इसमें से साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक केरल और बिहार में मौजूद विशेष अदालतों को बंद कर दिया गया।
जिसके बाद अभी मौजूदा वक्त में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 02 और उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु 01-01 विशेष न्यायालय कार्यरत हैं यानी कुल मिलाकर 10 विशेष न्यायालय कार्य कर रहे हैं।
अपराध को दो श्रेणियों में बांट दिया गया है
इसमें हाल में ही सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर अपराध को दो श्रेणियों में बांट दिया गया है। पहले वे मुकदमे जो सत्र न्यायालय द्वारा परीक्षण में है और सुनवाई सत्र अदालत में होनी है।
दूसरा, छोटे अपराध से संबंधित मामले मजिस्ट्रेट न्यायालय में सुने जाने हैं। सितंबर 2020 में, SC द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी (अदालत के मित्र) ने अपनी रिपोर्टों में इस बात पर प्रकाश डाला कि MP/MLA के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन के बावजूद, 4,442 आपराधिक मामलों में 2,556 मौजूदा सांसद और विधायक शामिल हैं।
MP/MLA कोर्ट की आवश्यकता क्यों है?
दरअसल हमारे देश में कानून बनाने का काम विधायक और सांसद ही करते हैं। अगर वह खुद ही इन नियम कानूनों का उल्लंघन करेंगे तो लोकतंत्र का इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है।
इसीलिए सुशासन, राजनीति में अपराधीकरण को रोकने, न्यायपालिका/लोकतंत्र में जनता का विश्वास सुदृढ़ करने, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव और विधि का शासन बनाए रखने के लिए इस तरह के अदालतों की जरूरत पड़ती है।
Published on:
28 Mar 2023 07:58 pm
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