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शंकराचार्य ने राहुल गांधी पर लगाए ये आरोप, हिंदू धर्म से बहिष्कार करने का प्रस्ताव पारित

Mahakumbh 2025: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने का प्रस्ताव पारित किया है। यह मामला राहुल गांधी द्वारा मनुस्मृति पर दिए गए बयानों से जुड़ा हुआ है।

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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में धर्म संसद में दो प्रस्ताव पारित किए गए हैं। एक प्रस्ताव नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और दूसरा प्रस्ताव अमेरिकी प्रशासन को लेकर किया गया है। राहुल गांधी द्वारा दिए गए मनुस्मृति के खिलाफ कथित बयान पर आपत्ति जताई गई है। वहीं, अमेरिकी प्रशासन द्वारा हिंदुओं के प्रति किए गए व्यवहार की कड़ी निंदा की गई और क्षमा याचना की मांग की गई है। यह प्रस्ताव सेक्टर 12 स्थित शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के शिविर में चल रही परम धर्म संसद में पारित किया गया।

राहुल गांधी ने क्या कहा?

दरअसल, राहुल गांधी ने लोकसभा में हाथरस गैंगरेप की घटना का जिक्र किया और कहा, “जिसने गैंगरेप किया वो बाहर घूम रहे हैं और लड़की का परिवार अपने घर में बंद है। लड़की का परिवार बाहर नहीं जा सकता है क्योंकि जो अपराधी हैं वो उन्हें डराते-धमकाते हैं। लड़की का अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया और सीएम ने इसके बारे में खुलकर मीडिया में झूठ बोला है। ये संविधान में कहां लिखा है कि जो बलात्कार करते हैं वो बाहर रहे और जिसका रेप हुआ वो घर में रहे। ये आपकी किताब मनुस्मृति में लिखा है, संविधान में नहीं लिखा।”

राहुल गांधी के खिलाफ क्या है धर्म संसद का प्रस्ताव?

धर्म संसद ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के वायरल हो रहे एक वीडियो क्लिप को संज्ञान में लिया है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आधिकारिक इंस्टा हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट कर लिखा गया है, “राहुल गांधी एक महीने के भीतर अपना पक्ष, परम धर्म संसद के समक्ष रखें। ऐसा न करने पर, उन्हें हिंदू धर्म से बहिष्कृत करने की घोषणा की जाएगी।” राहुल गांधी पर आरोप है कि उनके द्वारा की गई मनुस्मृति को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी से मनुस्मृति को पवित्र ग्रंथ मानने वाले करोड़ों आस्थावानों को पीड़ा हुई है।

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क्या है अमेरिकी सरकार से जुड़ा मामला?

धर्म संसद में कहा गया कि अमेरिका ने अवैध रूप से प्रविष्ट कुछ भारतीयों को देश से बाहर किया है, यह उनका अधिकार है लेकिन भारतीय हिंदुओं को अमेरिकी प्रशासन द्वारा खाने में निषिद्ध भोजन परोसा जाना निंदनीय है।