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महाकुंभ में गंगा-यमुना की जल गुणवत्ता पर एनजीटी नाराज, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में गंगा और यमुना के जल की गुणवत्ता को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की रिपोर्ट पर नाराजगी जताई है।

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Mahakumbh 2025: एनजीटी ने सख्त लहजे में कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि नदियों का पानी साफ और प्रदूषण मुक्त रहे.साथ ही, ट्रिब्यूनल ने यूपीपीसीबी से यह भी पूछा कि क्या वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट पर सवाल उठा रहा है।

एनजीटी ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह सीपीसीबी की रिपोर्ट पर आवश्यक कार्रवाई कर एक सप्ताह के भीतर पूरी रिपोर्ट पेश करे। इस मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।

यूपीपीसीबी की रिपोर्ट पर एनजीटी ने जताई नाराजगी

एनजीटी ने यूपीपीसीबी की रिपोर्ट को अधूरी और अस्पष्ट करार देते हुए कहा कि यह बोर्ड की जिम्मेदारी है कि वह जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए। एनजीटी ने यह भी सवाल किया कि राज्य सरकार अब तक इस मुद्दे पर क्या ठोस कार्रवाई कर रही है और प्रदूषित जल की स्थिति को सुधारने के लिए क्या रणनीति अपनाई गई है।

ट्रिब्यूनल ने यह स्पष्ट किया कि यूपी सरकार को अपनी जिम्मेदारी से बचने का कोई हक नहीं है और नदियों के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने होंगे। एनजीटी ने यूपीपीसीबी को यह भी निर्देश दिया कि वह जल की गुणवत्ता में सुधार के लिए की गई कार्रवाई का विस्तृत ब्यौरा अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करे।

सीपीसीबी की रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई

एनजीटी ने यूपीपीसीबी से पूछा कि क्या वह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट पर सवाल उठा रहा है।ट्रिब्यूनल ने इस मामले को गंभीर मानते हुए यूपीपीसीबी को निर्देश दिया कि वह सीपीसीबी की रिपोर्ट पर अमल करे और यह बताए कि किन कदमों से जल की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास किया गया है।

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प्रयागराज में जल प्रदूषण बना बड़ा संकट

संगम नगरी प्रयागराज में इन नदियों के जल की गुणवत्ता लगातार गिरती जा रही है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण करोड़ों श्रद्धालु यहां स्नान करने आते हैं, लेकिन बढ़ता प्रदूषण न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है, बल्कि यह पर्यावरणीय असंतुलन भी पैदा कर रहा है।