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Phulpur LokSabha : राजस्थान में तीन सीट हारने के बाद बीजेपी की रही यह लोकसभा सीट भी खतरे में, बीजेपी ने उतारी मंत्रियों की फौज

सात बार इस सीट पर कांग्रेस का रहा है कब्जा, 2014 में पहली बार जीती बीजेपी, होना है उपचुनाव

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Phulpur Lok Sabha by-election

फूलपुर लोकसभा उपचुनाव

इलाहाबाद. राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट खोने के बाद तिलमिलाई बीजेपी में अब इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में हार का डर साफ दिख रहा है। उपचुनाव में लगातार अपनी सियासी पकड़ कमजोर होता देख बीजेपी ने फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में संगठन मंत्रियों की फौज उतार दी है। यहां उपचुनाव बीजेपी के खिलाफ कई पार्टियां मिलकर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

देश में की राजनीति में इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट का एतिहासिक महत्व रहा है। राजनीति का ककहरा यहीं से शुरू होने की बात कही जाती है। इलाहाबाद की धरती ने देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री दिए हैं। देश की राजनीति में सर्वाधिक दखल देने वाली इस सीट पर सर्वाधिक सात बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। कांग्रेस की इस ऐतिहासिक सीट पर पहली बार बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। बीजेपी से केशव प्रसाद मौर्या सांसद चुने गए।

यूपी विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद केशव प्रसाद मौर्या कोे डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या द्वारा इस सीट से इस्तीफा देने के बाद अब यह लोकसभा सीट खाली है। जहां जल्द ही लोकसभा उपचुनाव होना है। खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी कहने का दम्भ भरने वाली बीजेपी राजस्थान में बुरी तरह हार के बाद तिलमिला गई है। राजस्थान की हार से बीजेपी की राजनैतिक जमीन खिसकती नजर आ रही है।

बीजेपी को अब इलाहाबाद की फूलपुर लोकसभा सीट भी हाथ से निकली नजर आ रही है। अब यहां उपचुनाव में जीत बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। जिसके लिए प्रदेश संगठन मंत्री गोविंद नारायण शुक्ला और अमरपाल मौर्या को अभी से प्रचार मैदान में उतार दिया है। इसके अलावा सोनभद्र विधायक भूपेश चैबे को भी फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए मैदान में उतारा है। ये पदाधिकारी फूलपुर लोकसभा मंे जगह-जगह जा कर बीजेपी की मंडल स्तरीय बैठक कर रहे हैं।

साथ ही उन्हंे फूलपुर लोकसभा सीट पर लगातार जीत कायम रखने का फार्मूला बता रहे हैं। मीडिया प्रभारी पवन श्रीवास्तव ने बताया कि फूलपुर लोकसभा उपचुनाव को ध्यान में रख अभी दोनो प्रभारी मंत्रियों को प्रचार मैदान मंे उतारा गया है। विधानसभावार पदाधिकारियों के नेतृत्व में बैठक की जा रही है। यहां के सभी बीजेपी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को अपना बूथ जीताओ, अपना सांसद पाओ की नीति पर कार्य करने को कहा जा रहा है।

बीजेपी को गठबंधन का खतरा

पिछले लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में भारी मतों से जीत के बाद बीजेपी फूले नहीं समा रही थी। वहीं उपचुनाव मिल रही लगातार हार से बीजेपी बौखला गयी है। इस बौखलाहट का फायला विपक्ष जरूर उठाना चाहेगा। बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए कांग्रेस के साथ सपा, बसपा भी खड़ी होती नजर आ रही हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए इस सीट पर लगातार जीत कायम रख पाना आसान नहीं होगा। उपचुनाव में यह हार जीत 2019 लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा तय करेंगी।