उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित लेटे हनुमान मंदिर कॉरिडोर के निर्माण में गड़बड़ी की बात सामने आई है। दरअसल गंगा में आई पहली बाढ़ ही यह कॉरिडोर नहीं झेल पाया और इसकी दीवारें ढहने लगी है। महाकुंभ के पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने इस कॉरिडोर का उद्घाटन किया था।
Prayagraj: प्रयागराज के संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर का भव्य कॉरिडोर प्रोजेक्ट, जिसकी लागत करीब 40 करोड़ रुपये बताई जा रही थी, पहली ही बाढ़ में अपनी मजबूती की परीक्षा में फेल हो गया। गंगा के उफान ने मंदिर परिसर की दीवारों और कॉरिडोर के पत्थरों को उखाड़ फेंका। यह वही परियोजना है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2024 में बड़े धूमधाम से किया था।
महज सात महीने में ही इस हाल ने निर्माण की गुणवत्ता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि संगम क्षेत्र में बाढ़ कोई नई बात नहीं, हर साल आती है। ऐसे में यदि करोड़ों रुपये की लागत से बना स्थायी ढांचा पहली ही बाढ़ में टूटने लगे, तो यह सीधा-सीधा लापरवाही और भ्रष्टाचार का मामला है।
परियोजना का पैमाना
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत कुल 11,589 वर्ग मीटर भूमि का अधिग्रहण किया गया था। 535 वर्ग मीटर में गर्भगृह और परिक्रमा पथ का निर्माण
करते हुए 2,184 वर्ग मीटर में कॉरिडोर का विस्तारकरना है।
पहले चरण का काम महाकुंभ से पहले पूरा कर लिया गया और 13 दिसंबर 2024 को PM मोदी ने उद्घाटन किया। फिलहाल, दूसरा चरण निर्माणाधीन है।
लोक निर्माण विभाग के काम पर सवाल
कॉरिडोर के निर्माण की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग (PWD) को दी गई थी। बाढ़ में पत्थरों का उखड़ना और दीवारों का गिरना इस ओर इशारा करता है कि या तो निर्माण मानकों की अनदेखी की गई या फिर घटिया सामग्री का इस्तेमाल हुआ।
लोगों का कहना है कि अगर पहली ही बाढ़ में दीवारें गिरने लगें, तो आने वाले सालों में इसका क्या हाल होगा।