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मिट्टी में छिपा हुनर देख कौशांबी डीएम हुए प्रभावित, सड़क किनारे काम कर रहीं बच्चियों का स्कूल में होगा दाखिला

कौशांबी के डीएम ने सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन बनाती बच्चियों को देखकर गाड़ी रोकी। बच्चियों ने बताया कि वे स्कूल इसलिए नहीं जातीं क्योंकि घर के काम करने पड़ते हैं।

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सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन बना रही बच्चियों को देख गाड़ी रुकवाई

सड़क किनारे मिट्टी के बर्तन बना रही बच्चियों को देख गाड़ी रुकवाई

सोमवार दोपहर डीएम किसी दौरे पर निकले थे। उनकी सरकारी गाड़ी सड़क पर तेजी से ओसा की ओर जा रही थी। तभी उन्होंने ड्राइवर से कहा, “गाड़ी रोको।” अधिकारी और सुरक्षाकर्मी हैरान हो गए, लेकिन डीएम ने सड़क के किनारे कुछ खास देखा। वहां कुछ छोटी बच्चियां मिट्टी के बर्तन बना रही थीं। अपने नन्हे हाथों से चाक पर मिट्टी को आकार दे रही थीं।

“स्कूल जाएंगे तो बर्तन कौन बनाएगा?”

बच्चियों को मेहनत करते देख डीएम चुप रह गए। उन्होंने गाड़ी से उतरकर बच्चियों के पास गए। बच्चियों के कपड़े मिट्टी से सने हुए थे, लेकिन उनकी आंखों में हुनर की चमक थी। डीएम ने उनसे प्यार से बात की और पूछा कि वे स्कूल क्यों नहीं जातीं। एक बच्ची ने जवाब दिया, “पढ़ाई अच्छी लगती है, लेकिन घर का काम करना पड़ता है। अगर स्कूल जाएंगे तो बर्तन कौन बनाएगा?”

कुछ देर के लिए चुप हो गए डीएम

यह सुनकर डीएम कुछ देर के लिए चुप हो गए। उन्हें समझ आ गया कि गरीबी और जिम्मेदारियां इन बच्चियों के सपनों के रास्ते में बाधा बन रही हैं। इसके बाद उन्होंने पास खड़े उप जिलाधिकारी सुखलाल प्रसाद वर्मा को कहा कि संबंधित अधिकारियों से मिलकर इन बच्चियों का दाखिला कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय या राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय भरसवा में सुनिश्चित कराया जाए।

डीएम ने यह भी कहा कि बच्चियों के परिवारों से बात की जाए, उनकी आर्थिक स्थिति देखी जाए और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए। ताकि बच्चियां पढ़ाई जारी रख सकें। उनका कहना था कि हमारी जिम्मेदारी सिर्फ सड़कों और इमारतों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज की नींव यानी बच्चों की शिक्षा को भी मजबूत करना हमारा फर्ज है।