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प्रदेश की जिला अदालतों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तृतीय श्रेणी पद पर प्रोन्नति वैध करार

- प्रोन्नति निरस्त कर चतुर्थ श्रेणी पद पर पदावनति देने का आदेश रद्द

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promotion to third class post of class IV employees of courts

प्रदेश की जिला अदालतों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तृतीय श्रेणी पद पर प्रोन्नति वैध करार

प्रयागराज 17 अप्रैल । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की जिला अदालतों में तृतीय श्रेणी पद पर प्रोन्नत कर्मियों को पदावत करने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। और चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की तृतीय श्रेणी कर्मचारी के पद पर पदोन्नति प्रक्रिया को वैध करार दिया है । कोर्ट ने कहा है चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में प्रोन्नत हुए सभी कर्मचारियों को सेवा जनित सभी परिलाभो सहित बहाल किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने रामतीर्थ व 6अन्य सहित चार अन्य याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है ।

याचिका में शेड्यूल बी की वैधता को चुनौती दी गई थी, किंतु कोर्ट ने इस संबंध में कोई आदेश न देते हुए समय.समय पर जारी शासनादेशो एवं नियमों के आधार पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को तृतीय श्रेणी पद पर सीधी भर्ती की 20 फ़ीसदी सीटों पर प्रोन्नति देने के नियम को सही करार दिया है। याचीगण कन्नौज, बागपत संत रविदास नगर भदोही ज्ञानपुर व अन्य जिलों के कर्मचारी है। जिन्हें प्रोन्नति के बाद पदावनति दे दी गई थी। जिसे याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। याचियो का कहना है कि उन्होंने पदोन्नति के बाद 8 अप्रैल 2016 को कार्यभार ग्रहण कर लिया । उन्हें कंप्यूटर प्रशिक्षण भी दिया गया वेतन भी प्राप्त किया। इसके बाद जिला न्यायाधीश उन्नाव ने 27 मई 2017 को बिना कोई जांच कराये पदोन्नति को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया। इसी तरह से अन्य जिलों में भी किया गया।


याचियों का कहना था कि उनकी पदोन्नति नियमानुसार हुई है और नियमित कर्मचारी को संविधान के अनुच्छेद 311 के अंतर्गत बिना विभागीय जांच किए पदावनति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने पदोन्नति देने के आदेश को वैध करार दिया है और पदावनत कर चतुर्थ श्रेणी पद पर भेजने के आदेश को रद्द कर दिया है।