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ऋचा सिंह 2 बार बीजेपी के सिद्धार्थनाथ से हारीं विधायकी, अब बीजेपी का ही थामा दामन

ऋचा सिंह अक्टूबर 2015 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रसंघ अध्यक्ष बनीं। समाजवादी छात्रसभा ने अपना सम‌र्थन दिया था। 2016 में ऋचा सिंह अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा में शामिल हुई थीं।

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Richa Singh

समाजवादी पार्टी ने प्रयागराज पश्चिमी सीट (Prayagraj West Assembly Seat) से ऋचा सिंह को विधायकी का टिकट दिया। ऋचा सिंह भाजपा के सिद्धार्थनाथ सिंह से हार गईं थी। 10 साल से विधायक रहीं पूजा पाल को उन्होंने तीसरे पायदान पर पहुंचा कर दूसरे नंबर पर अपनी जगह बनाई थी।'

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2022 के विधानसभा चुनाव में ऋचा सिंह का टिकट काट दिया गया था। भाजपा से सपा में आए अमरनाथ मौर्य को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन नामांकन से एक दिन पहले ऋचा सिंह को दोबारा उम्मीदवार घोषित किया गया। इस सीट (Prayagraj West Assembly Seat) पर समाजवादी पार्टी से ऋचा सिंह भारतीय जनता पार्टी के सिद्धार्थ नाथ सिंह का सीधे टक्‍कर था। इस चुनाव में भी ऋचा सिंह चुनाव हार गईं।

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ऋचा सिंह ने पूर्व सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्या की रामचरितमानस पर टिप्पणी का विरोध किया। 16 फरवररी 2023 को सपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पार्टी से निकाल दिया था। इसे लेकर ऋचा सिंह ने पार्टी के खिलाफ कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग से गुहार लगाई थी। इसके साथ ही उन्होंने सपा मुखिया अखिलेश यादव को ट्विटर पर टैग कर अपनी भड़ास निकाली थीं। उन्होंने लिखा, राजनीति हमें विरासत में नहीं मिली संघर्ष से पग-पग सीखा है, आगे भी संघर्ष होगा। महिलाएं "ताड़न" की अधिकारी इसको स्वयं समाजवादी पार्टी ने चरितार्थ किया है" आज अगर लोहिया जी होते जो रामायण मेले के आयोजन की बात किया करते थे, समाजवादी पार्टी के द्वारा लोहिया जी का भी निष्कासन कर दिया जाता।