
सरस्वती कूप
प्रसून पांडेय
प्रयागराज. सनातन परंपरा में संगम की रेती पर त्रिवेणी की धारा में पुण्य की डुबकी लगाने का सर्वाधिक महत्व है। कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं का रेला आस्था की नगरी में लगातार पंहुच रहा है, लेकिन यह पहली बार होगा कि कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा -यमुना के साथ विलुप्त सरस्वती के साक्षात दर्शन हो रहे है । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार में पहली बार श्रद्धालुओं के लिए सरस्वती कूप खोला गया है।
दरअसल कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के लिए संगम तट पर अकबर के किले में सरस्वती कूप आम श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। मान्यता है कि गंगा यमुना में सरस्वती की जो विलुप्त धारा प्रवेश करती है। उसका श्रोत किले के सरस्वती कूप से होकर ही जाता है। बता दें कि दिव्य - भव्य कुंभ में बसंत पंचमी पर पहली बार संगम के तट पर वीणावादिनी मां सरस्वती के साक्षात दर्शन सुलभ हो रहे है। साथ ही किले में 400 बरस से अधिक समय से कैद अक्षयवट भी खोला गया है। जिसका दर्शन कर श्रद्धालु पुण्य लाभ ले रहे है। संगम के तट पर बसंत पंचमी पर स्नान दान करना बेहद ही पुण्यकारी माना जाता है । रविवार के दिन घाट पर बैठे पुरोहित श्रद्धालुओं के माथे पर कस्तूरी तिलक लगाकर माँ सरस्वती की कृपा की कामना करते है।
प्रयागराज जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है गंगा, यमुना, सरस्वती त्रिवेणी की नगरी में रहने वाले शिक्षार्थियों को सरस्वती का स्वरूप माना जाता है । दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के साथ संगम नगरी में रहने वाले विद्यार्थी युवाओं की बड़ी संख्या संगम तट पर उमड़ रही है। एक तरफ जहां नागा संत शाही स्नान कर कुंभ की दिव्यता और भव्यता को बढ़ा रहे हैं तो वहीं मां सरस्वती की साधना में लीन युवा पीढ़ी भी मां सरस्वती के आशीर्वाद को लेने के लिए संगम तट पर पहुंच रही है।
Published on:
10 Feb 2019 12:49 pm
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