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दुनिया की अनोखी लाइब्रेरी जहां अपनी बारी के इंतजार में बाहर खड़े रहते हैं लोग

लाइब्रेरी के बाहर गेट से पहले और आसपास पेड़ों के नीचे बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार करते

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The saga of World's one of the oldest unique library in prayagraj

दुनिया की अनोखी लाइब्रेरी जहां अपनी बारी के इंतजार में बाहर खड़े रहते हैं लोग

प्रयागराज।ब्रिटिश हुकूमत के दौरान 1864 में बनी राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी इसकी स्थापना मौजूदा चंद्रशेखर आजाद पार्क में तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर के द्वारा करवाई गई थी। पब्लिक लाइब्रेरी भवन का निर्माण 1864 में शुरू हुआ। 1887 में भवन बनकर तैयार हुआ था। उत्तर प्रदेश को उस दौरान नार्थ वेस्टर्न प्राविसेंस ऑफ अवध के नाम से जाना जाता था। साथ ही इसके विधानमंडल को लेजिस्लेटिव कौंसिल फार द नार्थ वेस्टर्न प्राविसेज आफ अवध कहते थे। पहली और अन्य 13 बैठके इस भवन में संपन्न हुई थी। पुस्तकालय के 100 वर्ष पूरे होने पर इसका शताब्दी समारोह 12 नवंबर 1969 को तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की उपस्थिति में मनाया गया।

संगम की धरती पर गंगा यमुना और सरस्वती तीनों का संगम होता है यह संगम दुनिया भर में विख्यात है यहां गंगा और यमुना का मिलन तो सबने एक साथ देखा है लेकिन सरस्वती को धर्म और अध्यात्म में अदृश्य बताया गया है जबकि सरस्वती की धारा आज भी प्रयागराज में शिक्षा और आध्यात्मिक के स्वरूप में बह रही है।

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भले ही लोग कहते हो कि डिजिटल युग में लोग किताबों से दूर हो रहे हैं,लेकिन पब्लिक लाइब्रेरी पहुंचने पर यह मिथक खुद से टूट जाता है। पढ़ने के लिए पब्लिक लाइब्रेरी में हर दिन दो सौ से ज्यादा लोग पहुंचते हैं। जिनमें विद्यार्थी रिटायर्ड ऑफिसर्स शामिल हैं। लाइब्रेरी पंहुचने पर बहुत से छात्र लाइब्रेरी के बाहर गेट से पहले और आसपास पेड़ों के नीचे बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार करते रहते है ,पूछने पर लाइब्रेरियन ने बताया कि छात्र हैं इन्हें अपने चेयर का इंतजार है और जैसे ही कुर्सी खाली होगी अंदर आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि यह सिलसिला लगातार जारी रहता है। सुबह से शाम तक पढ़ने वालों की भीड़ रहती है।

इस पब्लिक लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबों का संग्रह है यहां सैकड़ों विद्वानों लेखकों की लिखी हुई किताबें नायाब संग्रह में सरस्वती की धारा बह रही है पीब्लिक लाइब्रेरी जहां प्रतियोगी छात्रों के अलावा किताबों में रुचि रखने वाले लोग सुबह-शाम अध्ययन करने पहुंचते हैं पुस्तकालय में किताबों से लेकर पांडुलिपियों के अद्भुत संग्रह रखे हैं।लाइब्रेरी गोथिक स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण देखने को मिलता है ।

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यहां के लाइब्रेरियन डॉ गोपाल मोहन शुक्ला कहते हैं कि सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि पुस्तक पढ़ने का कोई विकल्प नहीं है। इसकी शुरुआत अपनी पसंद के विषय और पुस्तक से की जानी चाहिए पुस्तक पढ़ने को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करें। पढ़ाई समाप्त करने के लिए नहीं, बल्कि महान लोगों की आत्मकथा का स्वाध्याय अध्ययन विधि के विकास में बेहद सहायक होता है। कहते है की किसी भी जागरूक समाज और व्यक्ति के लिए पठन-पाठन की प्रवृत्ति बुनियादी आवश्यकता है। यह न केवल विभिन्न भौतिक क्रियाकलापों के परिणाम स्वरूप सृजित ज्ञान को संरक्षित करती है, बल्कि मनुष्य की ज्ञानात्मक सूचनात्मक शैक्षणिक और मनोरंजन आत्मा की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए नवसृजन का अवसर भी प्रदान करती है। पुस्तकों के बिना ज्ञान आधारित शब्द विशाल विकास और मुख्य समाज की कल्पना नहीं की जा सकती पुस्तकों के महत्व को रेखांकित करते हुए महात्मा गांधी ने कहा था इंसान महान नहीं पैदा होता बल्कि उसके विचार उसे महान बनाते हैं।

लाइब्रेरी के नाम दर्ज उपलब्धियां

यह पुस्तकालय वर्तमान समय में देश के शीर्ष 10 प्रमुख सार्वजनिक पुस्तकालयों में शामिल है। डॉ गोपाल मोहन के अनुसार गूगल द्वारा इस पुस्तकालय को 4.2 की उत्कृष्ट रैंकिंग प्रदान की गई है।यहां से अध्यन सामग्री उपलब्ध हो सके इसके लिए 15 प्रांतों से लोगो ने सदस्यता ली है।और समय समय पर यहां आते है।

इस पुस्तकालय में हिंदी अंग्रेजी उर्दू संस्कृत अरबी फारसी बंगला फ्रेंच अन्य भाषाओं के सभी के लिए अलग-अलग रूचि के अनुसार पुस्तकों की श्रृंखला उपलब्ध कराता है। इसमें 1. 25 लाख किताबें उपलब्ध है। ऐसी काफी पाठ्य सामग्री उपलब्ध है जिसका प्रकाशन बंद हो गया है तथा जो पांडुलिपियों के समान महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय, प्रादेशिक तथा स्थानीय स्तर की सभी महत्वपूर्ण समाचार पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। पुस्तकालय में उपलब्ध प्रमुख पुस्तकें शाहनामा, महाभारत, दीवाने महली, नाज़नीन प्रेम दीपिका मरसिया, रघुवंशी का ज्योतिष शास्त्र गणेश पुराण आदि प्रमुख हैं।

किताबे हम एक नया नजरिया प्रदान करते हैं या किसी भी चीज के लिए नए तरीके से सोचने का हमें अवसर देती हैं किसी अच्छी पुस्तक का अध्ययन व्यक्ति के तनाव को समाप्त करता है स्वामी विवेकानंद के अनुसार पुस्तके उससे अच्छी दोस्त साबित हो सकती हैं जब भी आप किसी समस्या से परेशान हो तो किसी अच्छी पुस्तक को अपने हाथ में नहीं तो आपकी अपनी समस्या का हल उसमें मिल जाएगा।