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वाराणसी में साधु-संतों पर फिर बरसी लाठियां, लक्ष्मीकुंड में प्रतिमा विसर्जित

24 नामजद, 1000 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज, एक संत को भेजा जेल, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और बालकदास घायल, हिंदूवादी संगठन बना रहे आंदोलन की रणनीति...

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Shribabu Gupta

Sep 23, 2015

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वाराणसी।
गणेश प्रतिमा के विसर्जन को लेकर उपजे विवाद ने मंगलवार रात डेढ़ बजे उग्र रूप धारण कर लिया। पुलिस ने धरने पर बैठे
साधु-संतों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा
और प्रतिमा को लक्ष्मीकुंड ले जाकर विसर्जित कर दिया। लाठीचार्ज में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और बालक दास समेत दर्जनों लोग घायल हो गए।


मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस प्रशासन ने 24 के खिलाफ नामजद एवं 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। कार्रवाई के बाद ही पुलिस ने एक संत को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया है। इस कार्रवाई का कांग्रेस पार्टी ने जहां विरोध किया है।


इस घटना के बाद शहर में तनाव की स्थिति बन गई है और कई संगठनों ने आंदोलन की रणनीति बनाई है। उधर, बुधवार सुबह कांग्रेस भी आंदोलन में कूद गई और पुलिस की इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई।
भाजपा ने इसे हिंदू भावनाओं का
अपमान बताते हुए घटना की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी है। संत समाज ने अब काशी परिक्रमा कर पुलिस की इस कार्रवाई पर मत मांगने का ऐलान किया है।




यह था मामला


दरअसल, मराठी समाज लालबाग के राजा की स्थापना चौक पर करता है। प्रशासन ने गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए लक्ष्मीकुंड तय कर रखा है, जिसका मराठा गणेशोत्सव समिति विरोध कर रही थी। सोमवार समिति के पदाधिकारियों ने लालबाग के राजा की प्रतिमा को विसर्जित करने के लिए जुलूस निकाला। यह जुलूस जब गोदौलिया पहुंचा तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने प्रतिमा को आगे ले जाने से रोक दिया औऱ लक्ष्मीकुंड जाने के लिए कहा।


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मामला बढ़ऩे पर आयोजक धरने पर बैठ गए। सोमवार रात मामले को हिंदु वाहिनी ने और तूल दे दिया है और शहर बंद का एलान कर दिया। मंगलवार सुबह होते ही गोदौलिया और आसपास की दुकानें बंद करा दी गईं। इसके बाद महंत बालकदास औऱ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ साधु-संत भी धरने पर बैठ गए। वे प्रसाशन पर आस्था के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहे थे। दोनों संतों ने प्रतिमा विसर्जन गंगा में ही करने की मांग को लेकर अन्न-जल त्यागने की घोषणा कर दी।


रात डेढ़ बजे संतों को पीटा


पुलिस ने एक बार रात नौ बजे हल्के बल का प्रयोग उस समय किया, जब भीड़ में से किसी ने पथराव कर दिया। इसके बाद पुलिस ने धरनास्थल को चारो ओर से घेर लिया। रात डेढ़ बजे पुलिस ने पहले लोगों को धरना स्थल खाली करने की चेतावनी दी। नहीं मानने पर लाठीचार्ज कर दिया गया।


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भीड़ को गलियों में दौड़ादौड़ाकर पीटा गया। इस दौरान भीड़ की ओर से भी पथराव किया गया। लाठीचार्ज में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद औ बालकदास समेत दर्जनों संत महात्मा और लोग घायल हुए। रात में ही पुलिस ने गणेश प्रतिमा को लक्ष्मीकुंड में विसर्जित कर दिया।




चढ़ा राजनीतिक रंग

इस घटना पर बुधवार सुबह राजनीतिक रंग चढ़ गया। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने पुलिस की बर्बरता की निंदा की। कांग्रेस विधायक अजय राय ने कहा कि काशी में पहली बार साधु-संतों पर लाठी बरसी है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उधर, भाजपा ने मामले की जानकारी पीएमओ को दे दी। है।


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मीडिया से बोले अविमुक्तेश्वरानंद, करेंगे काशी की परिक्रमा

कबीरचौरा अस्पताल में भर्ती स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि काशी में पुलिस ने संतों का अपमान किया है। इसके खिलाफ काशी परिक्रमा की जाएगी। साधु-संत लोगों से पूछेंगे कि क्या पुलिस की कार्रवाई सही है। इसके बाद आगे की रणनीति बनेगी।

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