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योगी सरकार ने वापस लिया पूर्व विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड का मुकदमा, करवरिया बंधुओं को राहत

13 अगस्त 1996 को बीच शहर में हुआ था चर्चित जवाहर यादव हत्याकांड, अभियोजन पक्ष ने कहा करवरिया बंधुओं के खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं

प्रयागराजNov 03, 2018 / 11:31 pm

प्रसून पांडे

karvariya bndhu

yogi sarkar

प्रयागराज: उत्तरप्रदेश के बाहुबली पूर्व विधायक पंडित जवाहर यादव हत्याकांड मामले में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ़ पंडित की 13 अगस्त 1996 को शहर के बीचो—बीच में गोलियों से भूनकर कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया, बसपा के पूर्व सांसद कपिलमुनि करवारिया और विधान परिषद सदस्य सूरजभान करवरिया और रामचंद्र शुक्ल उर्फ़ कल्लू महराज को नामजद किया गया था। इस मामले में करवरिया बंधु चार साल से जेल में हैं। अब सरकार इस मामले में करवरिया बंधुओं के खिलाफ फैसला वापस लेने की तैयारी में है। हालांकि अंतिम फैसला कोर्ट पर निर्भर करेगा, जहां पांच नवंबर को इस मामले की सुनवाई हो सकती है। अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि इस मामले में पेश साक्ष्य इतने मजबूत नहीं हैं कि करवरिया बंधुओं को सजा हो सके।

गौरतलब है कि इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड के कई साल तक यह मामला अटका रहा। अखिलेश यादव सरकार में राजनीतिक दबाव के बाद इसमें अचानक तेजी आई और इस बहुचर्चित हत्याकांड में जिले कद्दावर राजनीतिक परिवार के तीन सगे भाइयों को जेल भेजा गया। अब सरकार की ओर से जिला न्यायलय में यह मुकदमा वापस लेने की अर्जी दी गई है। कोर्ट इस पर सोमवार को सुनवाई कर सकता है। बता दें कि पूर्व विधायक उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया अभी मेजा सीट से भाजपा विधायक हैं।

सरकार ने मांगी थी आख्या
बीते दिनों विशेष सचिव न्याय अनुभाग की ओर से जिला अधिकारी को भेजे पत्र में सिविल लाइन थाने में दर्ज राज्य बनाम कपिलमुनि करवरिया मुकदमे में 13 बिंदुओं पर आख्या मांगी गई थी। इसमें मुकदमे के संबंध में पूरी जानकारी के अलावा जिले के एसएसपी की भी राय मांगी गई थी। साथ ही यह भी पूछा गया था की केस डायरी में क्या साक्ष्य मौजूद हैं। इस मामले के तथ्यात्मक विश्लेषण करते हुए तुरंत रिपोर्ट तलब की गई थी। इस मामले में सत्र न्यायलय में अभियोजन पक्ष के बादबचाव पक्ष की ओर की से गवाही चल रही है।

मालखाने से गायब हो गए थे साक्ष्य
जवाहर पंडित हत्याकाण्ड़ की सालों बाद सुनवाई शुरू होने के बाद पुलिस साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। साक्ष्य के रूप में सदर मालखाने में परीक्षण रिपोर्ट और कारतूस जैसी कई चीजें रखी थीं। जिसे कोर्ट के समक्ष नहीं पेश किया गया। साक्ष्य न मिलने गायब होने पर इस मामले में एक इंस्पेक्टर, तत्कालीन मालखाना प्रभारी और एक सिपाही के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। अब योगी सरकार की अर्जी के बाद 20 साल पहले हुए इस हत्याकाण्ड़ पर कोर्ट के फैसले पर सबकी नजर है।

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