इस मामले का खुलासा होने के बाद बैंक की ही शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया और असली मालिकों से पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक, पुणे कोंधवा इलाके में इस मकान को साल 1994 में चार महिलाओं किरण चड्ढा, सुमन खंडागले, निरु गुप्ता और अंजलि गुप्ता ने मिलकर खरीदा था। इसके बाद किसी कारण की पिछले साल वह इसे बेचना चाह रही थी। उन दिनों अंजलि ने किसी डीलर से इसके लिए संपर्क किया था। उसके बाद कई लोगों ने इस मकान के खरीददार बनकर उनसे संपर्क भी किया।
बता दें कि बावजूद इसके उस समय इस मकान का सौदा नहीं हो पाया। इस दौरान अंजलि को पुलिस ने बताया उनके मकान का 22 बार खरीद बेचा गया। इसके अलावा तीन बार इसे गिरवी भी रखा जा चुका है। यह सुन कर चारो महिलाओं के पैरों तले जमीन खिसक गई।
इस मामले में पुलिस ने बताया कि बैंक की शिकायत पर केस दर्ज कर इसकी जांच की जा रही है। अभी तक इसमें साफ नहीं हो पाया है कि मकान के खरीद फरोख्त में असली मालिकों का कोई हाथ है या नहीं। इसके लिए पुलिस बैंक और तहसील में जमा डाक्यूमेंट्स की जांच करने के साथ ही असली मालिकों से पूछताछ भी कर रही है। बता दें कि इस मकान की मालिक महिलाओं ने बताया कि पिछले साल मई में कुछ रियल एस्टेट एजेंट और कुछ महिलाओं ने उनकी प्रापर्टी में खरीदने में इंटरेस्टेड हुए थे। इसके बाद सौ से अधिक लोगों ने उनसे इमारत खरीदने के लिए संपर्क भी किया।
पुलिस ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला कि इस मकान को पहली बार पिछले साल एक जुलाई को करीब एक करोड़ रुपये में बेचा गया। यह रकम माधवी और संतोष नामक दंपत्ति के खाते में ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद से करीब इतने ही रकम में इस मकान को इस साल जुलाई तक 21 बार और खरीदा और बेचा गया। इस मकान को बेचने के लिए हर बार असली मालिकों के नाम वाला फेक आधार कार्ड और अन्य डाक्यूमेंट्स का उपयोग किया गया।
पुलिस ने आगे बताया कि इसी दौरान इस मकान को तीन बार गिरवी भी रखा गया। इसके बदले में जालसाजों ने करीब 2.35 करोड़ रुपये का लोन ले लिया। चौथी बार भी बार गिरवी रखने की कोशिश की गई, तो बैंक को कुछ शक हुआ और उसने पुलिस में शिकायत कर दी।
डाक्यूमेंट्स से हुए मामले का खुलासा: बता दें कि विशाल गोरडे ने बैंक को दिए डाक्यूमेंट्स में बताया कि उसने पिछले साल 24 फरवरी को 96 लाख रुपये में इस मकान का एक फ्लोर खरीदा और बाद में इसे 70 लाख रुपये में कॉजमोस बैंक में गिरवी रख दी। इसके बाद उसने दूसरा मंजिला 1.2 करोड़ रुपये में खरीदकर 96 लाख रुपये में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में गिरवी रख दिया। इसी तरह तीसरी मंजिल को अनिल अग्रवाल और सुनीता अग्रवाल ने 96 लाख रुपये में फ्लोर खरीदा था और 70 लाख रुपये में कॉजमोस बैंक में गिरवी रख दिया।