scriptPune News: एक साल में 22 बार बिका मकान, 3 बार रखा गया गिरवी; असली मालिक को इसकी भनक तक नहीं | Pune News: House sold 22 times in a year, mortgaged 3 times; The real owner doesn't even know about it | Patrika News

Pune News: एक साल में 22 बार बिका मकान, 3 बार रखा गया गिरवी; असली मालिक को इसकी भनक तक नहीं

locationपुणेPublished: Sep 14, 2022 03:55:47 pm

Submitted by:

Siddharth

महाराष्ट्र के पुणे से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आ रही है। पुणे के कोंधवा में एक मकान को साल 1994 में चार महिलाओं किरण चड्ढा, सुमन खंडागले, निरु गुप्ता और अंजलि गुप्ता ने मिलकर खरीदा था। किसी कारण पिछले साल वह इस मकान को बेचना चाह रही थी। उन दिनों अंजलि ने किसी डीलर से इसके लिए संपर्क किया था।

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Building Construction

महाराष्ट्र के पुणे में जमीन और मकान के फेक खरीद फरोख्त का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। पुणे में एक चार मंजिला मकान को एक साल में ही ना सिर्फ 22 बेचा और खरीदा गया, बल्कि 3 बार दो बैंकों में गिरवी रखकर करोड़ों रुपए का लोन उठाया गया। सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि मकान के असली मालिकों को इस खरीद फरोख्त की कोई जानकारी ही नहीं थी। इस मामले का खुलासा बैंक को बार-बार गिरवी रखी जा रही मकान के डाक्यूमेंट्स को देखकर हुआ।
इस मामले का खुलासा होने के बाद बैंक की ही शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया और असली मालिकों से पूछताछ की। पुलिस के मुताबिक, पुणे कोंधवा इलाके में इस मकान को साल 1994 में चार महिलाओं किरण चड्ढा, सुमन खंडागले, निरु गुप्ता और अंजलि गुप्ता ने मिलकर खरीदा था। इसके बाद किसी कारण की पिछले साल वह इसे बेचना चाह रही थी। उन दिनों अंजलि ने किसी डीलर से इसके लिए संपर्क किया था। उसके बाद कई लोगों ने इस मकान के खरीददार बनकर उनसे संपर्क भी किया।
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बता दें कि बावजूद इसके उस समय इस मकान का सौदा नहीं हो पाया। इस दौरान अंजलि को पुलिस ने बताया उनके मकान का 22 बार खरीद बेचा गया। इसके अलावा तीन बार इसे गिरवी भी रखा जा चुका है। यह सुन कर चारो महिलाओं के पैरों तले जमीन खिसक गई।
इस मामले में पुलिस ने बताया कि बैंक की शिकायत पर केस दर्ज कर इसकी जांच की जा रही है। अभी तक इसमें साफ नहीं हो पाया है कि मकान के खरीद फरोख्त में असली मालिकों का कोई हाथ है या नहीं। इसके लिए पुलिस बैंक और तहसील में जमा डाक्यूमेंट्स की जांच करने के साथ ही असली मालिकों से पूछताछ भी कर रही है। बता दें कि इस मकान की मालिक महिलाओं ने बताया कि पिछले साल मई में कुछ रियल एस्टेट एजेंट और कुछ महिलाओं ने उनकी प्रापर्टी में खरीदने में इंटरेस्टेड हुए थे। इसके बाद सौ से अधिक लोगों ने उनसे इमारत खरीदने के लिए संपर्क भी किया।
पुलिस ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला कि इस मकान को पहली बार पिछले साल एक जुलाई को करीब एक करोड़ रुपये में बेचा गया। यह रकम माधवी और संतोष नामक दंपत्ति के खाते में ट्रांसफर किया गया था। इसके बाद से करीब इतने ही रकम में इस मकान को इस साल जुलाई तक 21 बार और खरीदा और बेचा गया। इस मकान को बेचने के लिए हर बार असली मालिकों के नाम वाला फेक आधार कार्ड और अन्य डाक्यूमेंट्स का उपयोग किया गया।
पुलिस ने आगे बताया कि इसी दौरान इस मकान को तीन बार गिरवी भी रखा गया। इसके बदले में जालसाजों ने करीब 2.35 करोड़ रुपये का लोन ले लिया। चौथी बार भी बार गिरवी रखने की कोशिश की गई, तो बैंक को कुछ शक हुआ और उसने पुलिस में शिकायत कर दी।
डाक्यूमेंट्स से हुए मामले का खुलासा: बता दें कि विशाल गोरडे ने बैंक को दिए डाक्यूमेंट्स में बताया कि उसने पिछले साल 24 फरवरी को 96 लाख रुपये में इस मकान का एक फ्लोर खरीदा और बाद में इसे 70 लाख रुपये में कॉजमोस बैंक में गिरवी रख दी। इसके बाद उसने दूसरा मंजिला 1.2 करोड़ रुपये में खरीदकर 96 लाख रुपये में बैंक ऑफ महाराष्ट्र में गिरवी रख दिया। इसी तरह तीसरी मंजिल को अनिल अग्रवाल और सुनीता अग्रवाल ने 96 लाख रुपये में फ्लोर खरीदा था और 70 लाख रुपये में कॉजमोस बैंक में गिरवी रख दिया।
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