
देश में इस वक्त संसद से लेकर ड्राइंग रूम तक हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की खूब चर्चा है। इस रिपोर्ट के आने के कुछ दिन के अंदर ही अडानी ग्रुप की कंपनी के शेयर धड़ाम हो गए। एक ऐसा ही कुछ किस्सा अब से करीब 7 दशक पहले भी हुआ था। संसद में एक भाषण हुआ और उस वक्त का तीसरा सबसे बड़ा ग्रुप जमीन पर आ गया। ये भाषण देने वाले कोई और नहीं उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के दामाद फिरोज गांधी थे।
तब टाटा बिड़ला के बाद आता था डीजे ग्रुप का नंबर
1950 के दशक में देश में कारोबारियों के 2 सबसे बड़े नाम थे- टाटा और बिड़ला। टाटा और बिड़ला के बाद भारत के तीसरे सबसे बड़े व्यापारिक घराने का नाम था- डालमिया-जैन यानी डीजे ग्रुप।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 6 दिसंबर 1955 को रायबरेली से सांसद फिरोज गांधी ने लोकसभा में भाषण दिया। उन्होंने कई तथ्य रखते हुए ये बताया कि डालमिया-जैन ग्रुप बड़ी हेराफेरी कर रहा है। इस भाषण ने इस ग्रुप को जमीन पर ला दिया। इतना ही नहीं सरकार ने इसे बहुत गंभीरता से लिया। इसके बाद ही जीवन बीमा से जुड़ी इंडस्ट्री का राष्ट्रीयकरण भी शुरू किया गया।
अडानी समूह की तरह ही बढ़ा था डीजे ग्रुप
रिपोर्ट कहती है कि डीजे ग्रुप की कई चीजें अडानी ग्रुप से मिलती जुलती थीं। डीजे ग्रुप ने बिहार में एक इंडस्ट्रियल टाउन डालमियानगर बसाया था। 3,800 एकड़ में सीमेंट, चीनी, कागज, रसायन, साबुन और एस्बेस्टस शीट बनाने वाली कंपनियां थीं। इस समूह के पास चेन्नई, हरियाणा, पटियाला, झरिया और रानीगंज में फैक्ट्री से लेकर कोयला खदानें तक थीं।
1955 में देश का तीसरा सबसे बड़ा ग्रुप बना ये डीजे ग्रुप 1933 में सिर्फ अकेली चीनी मिल का मालिक था। ऐसे में इसका उदय भी अडानी की तरह बहुत तेजी से हुआ था।
हिडनबर्ग और फिरोज गांधी के आरोपों में समानता
फिरोज गांधी ने अपने भाषण में डीजे ग्रुप के खातों में गड़बड़ी फर्जी कंपनियों को शुरू करना फिर उनको बंद करने जैसे आरोप लगाए। ये कुछ इसी तरह के आरोप थे, जैसे आज अडानी समूह पर हिडनबर्ग की रिपोर्ट में लगे हैं।
1946 में डीजे ग्रुप ने 3.7 करोड़ रुपए में सर शापुरजी ब्रोचा मिल्स और माधौजी धर्मसी मैन्युफैक्चरिंग नाम की कपड़ा मिले खरीदीं। ग्रुप ने कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (BCCL) को भी इसी साल 2 करोड़ में खरीदा।
इन दोनों खरीदों पर बात करते हुए फिरोज गांधी ने कहा कि मिलों की खरीद के पीछे का उद्देश्य उनके भंडार को खत्म करना और BCCL के शेयरों में निवेश करना है। इसके अलावा दूसरी कंपनियों की कानूनी वैधता पर भी उन्होंने कई अहम तथ्य देते हुए सवाल खड़े किए।
डीजे ग्रुप पर आरोपों के बाद हुआ बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण
फिरोज गांधी का ये सबसे गंभीर आरोप था कि डीजे ग्रुप पॉलिसीधारकों के पैसा का इस्तेमाल अपनी होल्डिंग दूसरी कंपनियों में बढ़ा रहा है। इससे देश के लाखों लोगों का पैसा डूब सकता है। ये ठीक ऐसा ही था जैसा हिडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद LIC के पैसे के लिए अडानी ग्रुप पर लग रहा है।
फिरोज गांधी का ये भाषण डीजे ग्रुप के लिए तबाही लेकर आया। फिरोज गांधी के भाषण का ही असर था कि 19 जनवरी 1956 को देश की सभी 245 बीमा कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। जिसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम की स्थापना हुई।
Published on:
12 Feb 2023 03:33 pm
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