
सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
रायबरेली. लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी के नामांकन पर मडरा रहा खतरा टल गया है। शनिवार को विपक्ष द्वारा सोनिया गांधी के नामांकन रद्द करने का मामला शनिवार देर रात ११ बजे सुलझ गया और जिलाधिकारी ने उन्हें चुनाव लड़ने की हरी झंडी दे दी। भाजपा (दिनेश प्रताप सिंह) व कांग्रेस (सोनिया गांधी) के उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों पर लगी आपत्तियों को सुलझाने में लिए जिला प्रशासन के अफसर देर रात तक माथापच्ची करते रहे और आखिरकार रात ११ बजे डीएम नेहा शर्मा ने दोनों प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों पर लगी आपत्तियों को खारिज करते हुए उनके नामांकन को वैध करार दे दिया है।
दरअसल, भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह ने जिला निर्वाचन अधिकारी से शिकायत की थी कि सोनिया गांधी का असल नाम एंटोनिया माइनो है, लेकिन बावजूद इसके उन्होंने सोनिया गांधी के नाम से अपना नामांकन दाखिल किया है, इसलिए सोनिया गांधी का नामांकन रद्द करना चाहिए।
भाजपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त करने की मांग-
वहीं दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ सोनिया गांधी के प्रतिनिधि केएल शर्मा, पार्टी के विधि सलाहकार केसी कौशिक ने जिला निर्वाचन अधिकारी नेहा शर्मा से शिकायत की थी। उनका कहना था कि भाजपा से पर्चा जमा करने वाले दिनेश प्रताप सिंह ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया और बिना पार्टी छोड़े उन्होंने भाजपा में शामिल होकर नामांकन पत्र जमा किया है। इसलिए भाजपा प्रत्याशी का नामांकन निरस्त किया जाए।
अंत में हुआ फैसला-
मामला मीडिया में आने के बाद काफी गहमा गहमी देखने को मिली। शनिवार को नामांकन पत्रों की जांच करने का समय सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक था, लेकिन वीआईपी उम्मीदवारों के नामांकन में आपत्ती किए जाने के बाद समय सीमा बढ़ा दी गई। 3 बजे तक चलने वाली जांच देर रात 11 बजे तक चली। आखिरकार माथापच्ची करने के बाद डीएम नेहा शर्मा ने दोनों पक्षों की ओर से की गई आपत्तियों को खारिज करते हुए उनके पर्चों को वैध करार दे दिया।
Updated on:
21 Apr 2019 05:40 pm
Published on:
21 Apr 2019 03:48 pm
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