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छत्तीसगढ़ के इस कॉलेज के 12 कर्मचारियों ने मांगी इच्छा मृत्यु, राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, जानें वजह?

Raigarh News: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में किरोड़ीमल इंजीनियरिंग कॉलेज में काम करने वाले 12 कर्मचारियों ने इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए सोमवार को कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम आवेदन दिया है। आपको बता दें आवेदन देने वालों में तृतीय और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी शामिल हैं।

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छत्तीसगढ़ के इस कॉलेज के 12 कर्मचारियों ने मांगी इच्छा मृत्यु, राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, जानें वजह?

CG News: पिछले 33 माह से वेतन के अभाव में कार्य कर रहे केआईटी के प्रोफेसर और कर्मचारी अब टूटने लगी हैं। बार-बार प्रदर्शन के बाद आश्वासन पर टिके कर्मचारियों ने कलेक्टोरेट पहुंचकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की मांग की है।

रायगढ़ जिले के एक मात्र अर्धशासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज केआईटी में प्रोफेसर व अन्य कर्मचारियों की कुल संख्या करीब 70 है। इन्हें पिछले 33 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। इतना ही नहीं इस कॉलेज में नया एडमिशन तो काफी पूर्व ही बंद कर दिया गया है, लेकिन पूर्व में एडमिशन ले चुके छात्रों का अध्यापन चल रहा है। इसके कारण यहां कार्यरत कर्मचारी व प्रोफेसर की जाना मजबूरी होती है।

यहां कार्यरत कर्मचारी कॉलेज तो जा रहे हैं, लेकिन पिछले 33 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण अब इनके सामने भूखे मरने की स्थिति निर्मित हो गई है। अपनी समस्याओं को लेकर जिले के विधायक व वित्त मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम व सीएम तक जा चुके हैं, लेकिन हर बार आश्वासन मिलता है और आश्वासन के बाद फिर शासन मौन हो जाती है।

कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं को लेकर आवेदन राष्ट्रपति के नाम सौंपा

इससे परेशान होकर एक कर्मचारी ने पूर्व में इच्छामृत्यु की मांग की थी और अब 12 कर्मचारियों ने सामुहिक रूप से राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इच्छामृत्यु की मांग की है। इसके बाद भी शासन और प्रशासन में केआईटी के कर्मचारियों के लंबित वेतन को लेकर किसी प्रकार का पहल नहीं की। बताया जाता है कि इन 12 कर्मचारियों में कुछ तृतीय वर्ग के हैं तो कुछ चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी हैं।

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बीच मझधार में फंसे हैं 70 कर्मचारी

यहां कार्यरत 70 कर्मचारी शासन के आश्वासन पर पिछले 2 साल से बीच मझधार में फंसे हुए हैं। न तो यहां के कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है न ही यह कर्मचारी यहां से नौकरी छोड़कर दूसरे जगह में जा पा रहे हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो बीच कर्मचारी फंसे हुए महसूस कर रहे हैं।

विडंबना कहें या अनदेखी

कांग्रेस शासन में जिले के विधायक ही उच्च व तकनीकि शिक्षा मंत्री थे, लेकिन केआईटी के कर्मचारियों का भला नहीं हो पाया। नई सरकार को लेकर कर्मचारियों को उम्मीद जागी थी, लेकिन नई सरकार के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी इस दिशा में किसी प्रकार का पहल नहीं की गई। ऐसे में उनकी स्थिति सरकार बदलने के बाद भी जस की तस है।

क्या कहता है प्रबंधन

इस मामले को लेकर जब यहां के प्रभारी प्राचार्य जीके अग्रवाल से संपर्क किया गया तो उनके मोबाईल पर घंटी बजती रही, लेकिन वे रिसीव नहीं किए। वहीं प्रबंधन से चर्चा की गई तो उन्हाेंने बताया कि कॉलेज की समस्याएं व कर्मचारियों की मांग को संचालक मंडल के सामने रखा गया है। संचालक मंडल के निर्णय के आधार पर आगे का कार्य होगा।