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CG Election 2018: छत्तीसगढ़ के इस इलाके को क्यों दी जाती है श्रीलंका की उपाधि

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ विधानसभा अंतर्गत शहर के बीच बसे वार्ड 41 छातामुड़ा के आदिवासी आज भी जंगल से गई बीती जिंदगी जी रहे हैं। इसे श्रीलंका की उपाधि दी जाए तो गलत नहीं होगा।

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डॉ. संदीप उपाध्याय/रायगढ़. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ विधानसभा अंतर्गत शहर के बीच बसे वार्ड 41 छातामुड़ा के आदिवासी आज भी जंगल से गई बीती जिंदगी जी रहे हैं। पार्षद प्रभुलाल खड़िया कहते हैं- चलिए आपको नगर निगम के एक क्षेत्र ले चलते हैं जिसे श्रीलंका की उपाधि दी जाए तो गलत नहीं होगा।

नगर निगम रायगढ़ के सरकारी दस्तावेजों में नोनईडीपा छातामुड़ा वार्ड का एक मोहल्ला है, लेकिन यह 50 साल पुराने किसी गांव से भी गया बीता है। जूटमिल के सीसीरोड वाले रास्ते से होते छातामुड़ा तक तो सडक़ ठीक-ठाक बनी है, लेकिन अचानक ही रोड गायब हो जाती है। यहां से नोनईडीपा आदिवासी मोहल्ले का सफर शुरू होता है। यहां लगभग 25 आदिवासी घर हैं, जिसमें लगभग 100 के करीब मतदाता हैं। इन सभी की आखों में विकास नहीं बल्कि शासन प्रशासन द्वारा दिए जाने वाले झूठे वादे का गुस्सा दिखाई दे रहा था। पूछने पर सभी अपना-अपना गुस्सा शब्दों के माध्यम से निकालने लगे।

खतरों से भरा है नोनईडीपा-छातामुड़ा तक पहुंचने का रास्ता
मोहल्ले के चारों तरफ निजी जमीन होने से इस मोहल्ले के लिए सडक़ तक के लिए जमीन नहीं है। 100 मीटर चलने पर एक नाला मिलता है। इन नाले के पार एक सीधी चढ़ाई है, जिसका रास्ता महज एक दो फुट ही चौड़ा है। इसके बाद इसी तरह के पतले रास्ते से लगभग 500 मीटर चलकर इस मोहल्ले तक पहुंचना पड़ता है। यहां के शंकर खडिय़ा, गोपी खडिय़ा बताते हैं कि यदि आप इस रास्ते में जरा भी चूके तो दहिने तरफ गहरा नाला है जिसमें गिरने से हाथ पैर टूट जाएंगे।

बारिश में बन जाता है टापू
आदिवासी समुदाय वाले इस मोहल्ले को लोग श्रीलंका भी कहते हैं, क्योंकि बारिश में इस गांव से तो कोई कहीं जा सकता है और न आ सकता है। इस गांव के सभी रास्ते नाले के तेज बहाव से बंद हो जाते हैं। यहां रहने वाले आदिवासी परिवार चार माह के लिए घरों में बंद होकर रह जाते हैं और यदि कोई बीमार हुआ या अन्य जरूरी काम हुआ तो यह लोग जान जोखिम में डालकर शहर तक पहुंचते हैं। यहां की बुजुर्ग महिला पूतना बाई बताती हैं- बहू बेटियां घर में ही जीवन को दांव में लगाकर प्रसव कराने कराने को मजबूर हैं, क्योंकि नाले के चलते उन्हें अस्पताल पहुंचाना या एंबुलेंस गांव तक पहुंच पाना असंभव है।

नहीं मिल रहा योजनाओं का लाभ
आदिवासी परिवार यहां लगभग 100 साल पहले इस जमीन पर रहने आए थे। उन्हें यहां के जमीदार ने बसाया था। इससे इनके पास न तो शासकीय पट्टा और न ही इन्हें आज तक पीएम आवास, स्वास्थ्य सुविधा सहित शासन की किसी भी योजना का लाभ मिल पा रहा है।

विधायक के जवाब से खासी नाराजगी
वार्ड 41 छातामुड़ा के पार्षद सीट आदिवासी सीट है। पार्षद प्रभुलाल बताते हैं कि उन्होंने पूरे समाज के साथ रायगढ़ विधायक से नाले में पुल की मंजूरी को लेकर बात की थी। इस पर उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि 100 लोगों के लिए एक करोड़ रुपए कैसे खर्च किया जा सकता है?