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वेटनरी विभाग के उडऩखटोले की जांच पूरी, उप संचालक को कलक्टर ने थमाया नोटिस

- सरकारी वाहन के साल भर का डीजल खर्च आरटीआई कार्यकर्ता ने निकाला था, जिसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए थे

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वेटनरी विभाग के उडऩखटोले की जांच पूरी, उप संचालक को कलक्टर ने थमाया नोटिस

वेटनरी विभाग के उडऩखटोले की जांच पूरी, उप संचालक को कलक्टर ने थमाया नोटिस

रायगढ़. वेटनरी विभाग के उडऩखटोले मामले की जांच पूरी हो गई है। जांच में शिकायत की पुष्टि होने के बाद कलक्टर ने इस मामले में उप संचालक को नोटिस थमाते हुए जवाब मांगा है। साथ ही इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए शासन को भेजने की तैयारी की जा रही है।

विदित हो कि वेटनरी विभाग के उप संचालक द्वारा उपयोग किए जा रहे सरकारी वाहन के साल भर का डीजल खर्च आरटीआई कार्यकर्ता ने निकाला था, जिसमें चौकाने वाले तथ्य सामने आए थे। इस विभाग की वाहन एक दिन में लोईंग महापल्ली जाकर वापस रायगढ़ आकर रायपुर जाकर रात में फिर से वापस रायगढ़ लौट आई।

एक दिन में तीन अलग-अलग दिशाओं में उक्त वाहन से सफर करना दिखाया गया है। इस प्रकार की और कई काल्पिनक दूरी दिखाई गई है, जिसको लेकर आरटीआई कार्यकर्ता ने कलक्टर से शिकायत किया था। शिकायत के बाद कलक्टर ने इस मामले में जिला पंचायत सीईओ को जांच करने का आदेश दिया था।

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जिला पंचायत सीईओ चंदन त्रिपाठी ने इस मामले में एसीईओ बीबी तिग्गा और अंकेक्षकों की टीम बनाकर जांच करने का निर्देश दिया। जांच टीम द्वारा की गई जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि वर्ष २०१५-१६ में लगभग २५६१९ किलोमीटर अधिक दूरी वाहन की गतिमापक पुस्तिका में अंकित किया गया गया है। इसके माध्यम से शासकीय राशि का दुरूपयोग किया जाना प्रतीत होता है।

जांच रिपोर्ट में आए तथ्यों के बाद कलक्टर शम्मी आबिदी ने इस मामले में पशु चिकित्सा विभाग के उप संचालक आरएच पाण्डेय को नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि उक्त कार्य सिविल सेवा आचरण संहिता के विपरित है और दण्डनीय है। ७ दिनों के भीतर सभी दस्तावेजों व अभिलेख के साथ अपना जवाब पेश करें। जवाब न मिलने व संतोषप्रद जवाब न मिलने की स्थिति में अनशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए शासन को प्रकरण भेजने की बात भी कही गई है।

और भी कई दौरा में संदेह
21 दिसंबर 2016 के बाद का लॉगबुक जांच टीम द्वारा कई बार जांच करने के लिए मांगा गया, लेकिन संबंधित विभाग ने उक्त लॉगबुक नहीं दिया। इसके कारण जांच टीम ने रिपोर्ट में यह भी बताया है कि और भी कई दौरे जो उक्त तिथि के बाद किया गया है उसमें भी संदेह है लेकिन लॉगबुक के अभाव में इसकी जांच नहीं हो पा रही है।