इस बीच करीब 30 मिनट तक पीडि़ता थाने में ही तड़पती रही। हलांकि पुलिस के अधिकारी इस बातों से इंकार कर रहे हैं। उनकी माने तो पीडि़ता मानसिक रुप सेे विक्षिप्त हैं। उसे थाने की गाड़ी में बिठाने को कोशिश की गई थी। पर वो नहीं बैठी तो संजीवनी 108 को बुला कर उसे अस्पताल भेजा गया।
मिली जानकारी के अनुसार 35 वर्षीय बुधियारिन का मायके सरिया थाना क्षेत्र के पिहरा है। जबकि करीब 12-13 साल पहले वो दूसरी पत्नी बन कर सारंगढ़ थाना क्षेत्र के खुर्सी गांव गई थे। उसके दो संतान भी है। पर पिछले कुछ साल से उसका पति के साथ विवाद चल रहा था। जो मामला फैमिली कोर्ट में विचाराधीन है।
करीब दो सप्ताह पहले बुधियारिन का एक बार फिर पति से विवाद हुआ। जिसके बाद वो मायके आ गई। इस बीच बरमकेला थाना क्षेत्र के बुदेली में उसके छोटे दादा पवन ओगरे के घर कुछ कार्यक्रम था। जिसमें शामिल होने के लिए बुधियारिन आई थी। उक्त कार्यक्रम में उसका पति भी पहुंचा हुआ था। पत्नी को देखकर पति को गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया। उसके बाद उसने वहीं पर पत्नी से विवाद शुरु कर दिया।
रात जैसे तैसे बीती। सुबह में पवन ओगरे की बहू ने बुधियारिन को खाना दिया। खाना खाने के दौरान उसने रसोई घर में जलती चिमनी को अपने उपर गिरा लिया। जिससे वो करीब 70 प्रतिशत जल गई। बुधियारिन को जलते देख खाना देकर बाहर गई बहू ने जल्दबाजी में पानी डाल कर आग को बुझाया। उसके बाद पीडि़ता को अस्पताल ले जाने की पहल हुई। पर वो अस्पताल जाने की बजाए करीब 1 कि.मी का सफर तय कर बरमकेला थाना पहुंच गई।
जहां उसे थाने की गाड़ी से अस्पताल पहुंचाने में आनाकानी व करीब 30 मिनट तक संजीवनी 108 के आने का इंतजार की बात कही जा रही है। हलांकि बरमकेला टीआई ऐसी बात से इंकार कर रहे हैं। उनकी माने तो पीडि़ता, मानसिक रुप से विक्षिप्त है। परिजन भी अपने बयान में इस बात का उल्लेख किया है। पीडि़ता को थाने की गाड़ी में बिठाने की पहल की गई थी। पर वो नहीं बैठी। जिसके बाद संजीवनी 108 से उसे अस्पताल पहुंचाया गया।
जांच का है विषय
बरमकेला पुलिस ने 70 प्रतिशत झुलस कर थाने पहुंचा पीडि़त महिला को अस्पताल ले जाने को लेकर थाने की गाड़ी उपलब्ध कराया या नहीं। विभागीय जानकार इसे जांच का विषय बता रहे हैं। क्योंकि सोशल मीडिया में बरमकेला पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने की बात कही जा रही है। जबकि टीआई्र ऐसी किसी बात से इंकार कर रहे हैं।
स्थिति है नाजुक, 48 घंटे अहम
7 प्रतिशत झुलसी महिला को बरमकेला से रायगढ़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लाया गया। जहां उसे डाक्टरों की देखरेख में बर्न यूनिट में रखा गया है। डाक्टर की माने तो पीडि़त के लिए अगामी 48 घंटे का समय काफी अहम है। इस बीच अगर उसकी हालत बेहतर रही तो उसे खतरे से बाहर लाने की पहल करने में आसानी होगी।
पुलिस की गाड़ी में बैठने को तैयार नहीं
पीडि़ता जैसी ही थाने पहुंची। उसे पुलिस की गाड़ी में अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की गई। पर वो पुलिस की गाड़ी में बैठने को तैयार नहीं थी। मानसिक रुप से विक्षिप्त महिला के लिए संजीवनी 108 को बुलाया गया। पुलिस द्वारा थाने की गाड़ी में पीडि़ता को बिठा कर अस्पताल ले जाने में आनाकानी करने वाली कोई बात ही नहीं है।
-पीएन कुजूर, टीआई, बरमकेला थाना।