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अनाथालय के नए नाथ की खोज हुई पूरी, पर ट्रस्ट की करोड़ों की संपत्ति पर सस्पेंस कायम

- उन्नायक सेवा समिति को चयन कमेटी ने माना पात्र, संचालन को मिली स्वीकृति -31 अगस्त से पहले संस्था को लेना होगा हैंडओवर

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अनाथालय के नए नाथ की खोज हुई पूरी, पर ट्रस्ट की करोड़ों की संपत्ति पर सस्पेंस कायम

अनाथालय के नए नाथ की खोज हुई पूरी, पर ट्रस्ट की करोड़ों की संपत्ति पर सस्पेंस कायम

रायगढ़. चक्रधर बाल सदन यानी अनाथालय के नए नाथ की खोज पूरी हो गई है। चयन कमेटी ने रायगढ़ के उन्नायक सेवा समिति को बालिका गृह के संचालन के लिए पात्र मानते हुए उसके संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसका विभागीय आदेश सचिव ने जारी कर दिया है, पर खास बात तो यह है कि उक्त संस्था को सिर्फ बालिकाओं के पालन-पोषण व शैक्षणिक उत्थान की जिम्मेदारी होगी।

ऐसे में, बाद सदन के नाम से करोड़ों रुपए की संपत्ति का क्या होगा। ट्रस्ट की इस संपत्ति पर मालिकाना हक किसका होगा, ऐसे कई सवाल है। इसको लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। इधर महिला बाल विकास विभाग का कहना है कि यह एक गंभीर विषय है। बालिका गृह को एनजीओं को सुपुर्द करने के बाद आला अधिकारी से चर्चा कर उनके मार्ग दर्शन में आगे की पहल की जाएगी।

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चक्रधर बाल सदन में आए दिन आपसी खिंचतान के बीच होने वाले विवाद पर अब विराम लगने के कयास लगाए जा रहे हैं। क्योंकि विभागीय सचिव एम गीता के आदेश पर अनाथालय को पात्र एनजीओ को सुपुर्द करने की कवायद शुरु हो गई है। जिसके लिए प्रदेश के कई जिलों से एनजीओ संचालक ने अपनी-अपनी दावेदारी पेश की थी, पर उसमें रायगढ़ के उन्नायक सेवा समिति व उनके पूर्व की संचालित संस्थाओं के अनुभव को देखते हुए अनाथालय के संचालन संबंधी आदेश जारी कर दिया गया है।

सबसे अहम पेच इस बात को लेकर फंस गया है कि बाल सदन के नाम से करोड़ों रुपए की इस संपत्ति का क्या होगा, जो शहर के बीचों-बीच मौजूद है। हालांकि यह सवाल तभी से उठने लगे थे। जब विभागीय सचिव ने कुछ माह पहले अनाथालय में होने वाले बार-बार के विवाद को देखते हुए एनजीओं को सौंपने का आदेश जारी किया था। उस समय सिर्फ पात्र एनजीओ के खोज पर ही फोकस किया गया था। अब जब पात्र एनजीओ के नाम पर विभागीय मुहर लग गई है तो यह सवाल फि र से खड़ा हो गया है।

एसडीएम को सौंप देंगे चाबी
बाल सदन के नाम पर स्थापित करोड़ों रुपए की संपत्ति में मंदिर व व्यवसायिक दुकानें भी है। जिसका पहले ट्रस्ट बाद में विभाग की निगरानी समिति देख-रेख कर रही थी। यहां से प्रतिमाह हजारों रुपए का आवक भी है, पर बालिका गृह को उन्नायक सेवा समिति को सौंपने के बाद उस पर अधिकार को लेकर दुविधा की स्थिति है। ऐसे में, महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी, जिला प्रशासन द्वारा ही इसमें कोई फैसला लेने की बात कह रहे हैं। उनकी मानें तो संस्था को बालिका गृह सौंपने के बाद एसडीएम को सदन की चाबी सौंप दी जाएगी।

नए भवन की खोज में हो रही परेशानी
अनाथालय की बेटियों को एनजीओ को सुपुर्द करने की इस पहल में आवासीय व्यवस्था, एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। क्योकि अनाथालय को वर्तमान स्थान से हटाने का उल्लेख भी विज्ञापन में किया गया था। जिसकी वजह से करीब ७५-८० बेटियों के रहने को लेकर नए आवासीय परिसर को खोजने में नए संचालक की परेशानी बढ़ गई है।

चक्र्रधर बाल सदन को उन्नायक सेवा समिति को सौंपने की पहल की जा रही है। जिसका आदेश विभागीय सचिव ने जारी कर दिया है। बाल सदन की संपत्ति को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला जिला प्रशासन ही लेगा।
टिकवेंद्र जाटवर, डीपीओ, मबावि विभाग, रायगढ़

विभागीय सचिव की ओर से बालिका गृह के संचालन की स्वीकृति दी गई है। हमें सिर्फ जेजे एक्ट के तहत अनाथालय की बेटियों की बेहतर पालन-पोषण व उनसे जुड़ी फाइलों से मतलब है। बाल सदन की संपत्ति में संस्था का कोई दखल नहीं होगा। एसएस मोहंती, संचालक उन्नायक सेेवा समिति, रायगढ़