जानकारी के मुताबिक अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में दीपक कुमार नाम का एक युवक अपने साथी के साथ रायगढ़ पहुंचा था। इन दोनों ने अपने आपको केंद्रीय मंत्री मेनिका गांधी के एनजीओ का सदस्य बताया था। इतना बताते हुए तत्कालीन डीएफओ ने वन विभाग के एसडीओ एनआर खूंटे को उन लोगों की मदद करने की बात कही और एसडीओ मदद करने की जगह उनके साथ खुद छापेमारी करन चल दिए। वन विभाग के अधिकारी और सिपाहियों का साथ पाकर दोनों फीर्जी एनजीओ कार्यकर्ता अपने आपको वन विभाग का मुखिया ही समझ बैठे।
इसके बाद उन्होंने शहर के तीन व्यापारियों अविनाश अग्रवाल, संत अग्रवाल और संजय अग्रवाल के यहां छापेमारी कर कुछ जब्ती भी दिखा डाली। इस कार्रवाई के बाद एसडीओ स्वयं डीएफओ के चैंबर में पहुंचे और उन युवकों के साथ बैठकर कार्रवाई भी करने की बात कही। इस कार्रवाई को लेकर आरोप लगाया जा रहा है कि तीनों व्यापारियों से उन युवकों ने लाखों रुपए की रिश्वत ली और वहां से रफू चक्कर हो गए।
सीसीएफ ने मांगा सात दिन में जवाब
सेव फॉरेस्ट नामक संस्था के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सीसीएफ बिलासपुर ने इस मामले में रिश्वत लेने के आरोप को गंभीरता से लिया है। उन्होंने डीएफओ रायगढ़ को निर्देश दिया है कि वह शिकायत के सभी तथ्यों की गंभीरता से जांच कर एक सप्ताह के भीतर उन्हें रिपोर्ट दें।
जमकर किया था सत्कार
जानकारी के मुताबिक दोनों युवकों ने जैसे ही अपने आपको मेनिका गांधी के एनजीओ से होना बताया, एसडीओ ने उनके स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं की। एसडीओ खूंटे ने उन युवकों से उनका आईडेंटी कार्ड या परिचय से संबंधित कुछ दस्तावेज भी देखना जरूरी नहीं समझा। उनके लिए फॉरेस्ट विभाग में लजीज पकवान भी मंगवाया गया और उसके बाद उनके साथ छापेमारी भी करने चल दिए। इतना ही नहीं जब आरोपियों पर कार्रवाई की जा रही थी तो उसे रोकने के लिए लेन-देने होने की बात सामने आई और इसे लेकर झगड़ा भी हुआ था।
छापेमारी के नियम की उड़ाई धज्जियां
वन विभाग के एसडीओ दोनों फर्जी एनजीओ कार्यकर्ताओं के आभामंडल में इतना आ गए कि उन्होंने वन विभाग के नियमों तक की धज्जियां उड़ा डाली। वन विभाग के नियमानुसार किसी भी जगह छापेमारी करने से पहले बाकायदा एक सर्च वारंट निकाला जाता है, जो कि नहीं निकाला गया। इतना ही नहीं वन विभाग में शाम को अंधेरा होने के बाद छापेमारी करने का कोई नियम नहीं है, लेकिन एसडीओ ने उन युवकों से साथ अधेरा होने के बाद जाकर छापेमारी की।
एसडीओ एनआर खूंटे यह दे हैं रहे सफाई
इस बारे में एसडीओ एनआर खूंटे का कहना है कि कोई भी व्यक्ति यदि वन्य प्राणियों की सुरक्षा या वन सुरक्षा से संबंधित तथ्य लेकर शिकायत करता है तो उस पर कार्रवाई किया जाना कहीं से गलत नहीं है।