
जान की बाजी लगाकर लीला और राजू लड़ेंगे हाथियों से, अधिकारियों ने दिए कड़े निर्देश
रायगढ़. छत्तीसगढ़ के जंगलों में अब हाथियों से मौत होने का सिलसिला खत्म हो जाएगा। उत्पाती हाथियों के आंतक की खबर मिलते ही राजू और लीला (Raju and leela) की जोड़ी घटना स्थल पर पहुंच जाएंगे और अपने जान की बाजी लगाकर लोगों की जान बचाएंगे। वन विभाग (Chhattisgarh forest Department) के अधिकारियों ने उच्चस्तरीय बैठक करने के बाद राजू और लीला को हर परिस्थिति में तैयार रखने के निर्दश दिए हैं।
हर वक्त लोगों की जान मुसीबत में
धरमजयगढ़ के छाल रेंज में एक हाथी कुछ दिनों से उत्पात मचाए हुए हैं। इस उत्पाती हाथी के उत्पात को शांत करने सरगुजा से प्रशिक्षित हाथी (कुमकी) राजू और लीला का लाया जाएगा। इसकी तैयार विभाग कर रहा है। लगातार जा रहली लोगों की जान को लेकर गुरुवार को रायपुर के मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) केके बिशेन व बिलासपुर से मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) पीके केसर धरमजयगढ़ पहुंचे थे। यहां उन्होंने यह निर्देश दिया। इसके लिए उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किया गया है।
धरमजयगढ़ क्षेत्र में एक हाथी पिछले माह से उत्पात मचा रहा है। एक माह के भीतर ही हाथी ने पांच लोगों की जान ले रही है। यदि इस हाथी को काबू नहीं किया जाता है तो आने वाले दिनों में और भी जनहानि होने की घटना से इंकार नहीं किया जा रहा। इस बात को देखते हुए गुरुवार को रायपुर के मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) केके बिशेन व बिलासपुर से मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) पीके केसर धरमजयगढ़ पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि यहां उत्पाती हाथी को रोकने लिए विभागीय अधिकारियों व हाथी मित्र दल के साथ बैठक की गई।
बैठक में ही हाथी को लगातार ट्रेस किए जाने का निर्देश जहां दिया गया। वहीं इस उत्पाती हाथी को शांत करने के लिए सरगुजा से प्रशिक्षित हाथी (कुमकी) लीला और राजू को लाए जाने की बात कही गई। बताया जा रहा है कि यह प्रशिक्षित हाथी सरगुजा में है।
कुमकी है यह है खासियत
कुमकी हाथी की खासियत पर गौर करे तो यह हाथी प्रशिक्षित रहते हैं। इन कुमकी हाथियों को इस तरह से प्रशिक्षिण दिया जाता है कि वे किसी भी उत्पाती हाथी को शांत कर सके। हालांकि कुमकी को लाने से पहले उसे संबंधित क्षेत्र के माहौल में ढलने के लिए कुछ समय दिया जाता है। विभागीय अधिकारियों की माने तो यह सरगुजा से आने के बाद कुमकी हाथियों को मुनुंद के जंगल में रखा जाएगा। इसके पीछे कारण यह है कि मुनुंद धरमजयगढ़ व कोरबा के बीच का क्षेत्र है। यहां के हाथी कभी कोरबा तो कभी धरमजयगढ़ पहुंच जाते हैं।
कर्नाटक से लाए गए हैं कुमकी हाथी
विभागीय अधिकारियों की माने तो कुछ साल पहले प्रदेश में हाथियों का उत्पात काफी ज्यादा था। हाथी फसल नुकसान तो कर रहे थे। वहीं लोगों की जान भी ले रहे थे। ऐसे में वन विभाग के द्वारा कर्नाटक से 5 कुमकी हाथियों का दल छत्तीसगढ़ लाया गया था। इसमें कुछ थी महासमुंद में रखे गए थे तो कुछ सरगुजा भेजा गया था।
पहनाया जाएगा काला पट्टा
हाथी के उत्पात को देखते हुए इस हाथी की ट्रेकिंग करने के लिए अंबिकापुर की टीम की मदद ली जा रही है। यह टीम बराबर उत्पाती हाथी पर नजर बनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि मौजूदा समय में यह हाथी कोरबा के करतला जंगल में है। इस उत्पाती हाथी को काला पट्टा पहनाने की तैयारी भी है। यह पट्टा अंबिकापुर की टीम के द्वारा ही पहनाया जाएगा।
हाथी के उत्पात को देखते हुए उच्चाधिकारी यहां आए थे। उसके उत्पात को रोकने के लिए कुमकी हाथी भी लाया जा सकता है। मौजूदा समय में यह हाथी कोरबा के करतला जंगल की ओर चला गया है।
प्रणय मिश्रा, डीएफओ, धरमजयगढ़
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Updated on:
22 Jun 2019 04:39 pm
Published on:
22 Jun 2019 04:26 pm
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