
घरघोड़ा अनुविभागीय कार्यालय में 6 मार्च 2023 को सूचना के अधिकार के तहत एक आवेदन लगाया गया। इसमें 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2022 तक डायवर्सन से संबंधित जानकारी मांगी गई। 6 मार्च को ही तत्कालीन एसडीएम ने आवेदन में मांगी गई जानकारी को व्यक्तिगत बताते हुए निरस्त कर दिया। इसको लेकर आवेदक ने अपर कलेक्टर संतन देवी जांगड़े के पास अपील कर जानकारी मांगी, लेकिन अपीलीय अधिकारी ने भी तत्कालीन एसडीएम के निर्णय को सही माना।
इसके बाद आवेदक ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। उक्त अवधी में तत्कालीन एसडीएम के रूप में ऋषा ठाकुर पदस्थ थी। सूचना आयोग में आयुक्त धन्वेंद्र जायसवाल ने सोमवार को सुनवाई में तत्कालीन एसडीएम को रायपुर बुलाया गया था। वहीं आवेदक को कलेक्टोरेट रायगढ़ में वीडियो कांफेसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
सोमवार को आवेदक ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित होते हुए आरोप लगाया कि महाजेंकों के प्रभावित क्षेत्र में थोक में तत्कालीन अधिकारियों द्वारा गलत तरीके से डायवर्सन कर भू-अर्जन के माध्यम से महाराष्ट्र सरकार को चपत पहुंचाई है इसलिए अधिकारियों द्वारा इस पर पर्दा डालने जानकारी को छिपाया जा रहा है। इस मामले में राज्य सूचना आयोग के आयुक्त धन्वेंद्र जायसवाल ने संबंधित अधिकारी को जानकारी देने का आदेश देते हुए तत्कालीन जनसूचना अधिकारी एसडीएम को 25 हजार रुपए का जुर्माना किया है।
ऐसे हुआ है खेल
महाजेंकों के प्रभावित ग्रामों में तत्कालीन एसडीएम एके मार्बल के कार्यकाल में प्रतिबंध के आदेश को दबाकर कई बिक्री नकल जारी किए गए थे तो वहीं डायवर्सन का आदेश भी मनमाने तरीके से काफी व्यापक पैमाने पर किया गया है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच पूरी ही नहीं की गई।
मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अभी तक मेरे पास जुर्माने से संबंधित कोई आदेश नहीं आई है। -ऋषा ठाकुर, डिप्टी कलेक्टर
Published on:
21 Feb 2024 05:35 pm
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