
कोयला सत्याग्रह के तहत बापू जयंती के अवसर पर लगभग पांच हजार की संख्या में ५० गांव के ग्रामीण पेलमा में एकत्रित हो गए हैं।
रायगढ़. कोयला सत्याग्रह के तहत बापू जयंती के अवसर पर लगभग पांच हजार की संख्या में ५० गांव के ग्रामीण पेलमा में एकत्रित हो गए हैं।
इनकी ओर से आज वर्तमान कोयला कानून को तोड़कर उसे चुनौती दी जाएगी। विदित हो कि अभी के नियम के अनुसार जमीन के अंदर के नीचे के खनिज को केवल सरकार या उससे अनुमति प्राप्त संस्था, व्यक्ति को खोदने का अधिकार है।
फिल वक्त ग्रामीणों का सामूहिक भोज कार्यक्रम चल रहा है। इसके बाद इन ग्रामीणों की ओर से एक विशाल ग्रामसभा का आयोजन किया जाएगा।
इस ग्रामसभा में कोल कंपनियों को अपनी नहीं देने, और हमारी जमीन हमारा कोयला के तहत प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
इसके बाद ग्रामीण रैली की शक्ल में पेलमा गांव के भैंसागढ़ी पहुुंचेंगे जहां पर खुद से कोयला खोदकर देश के वर्तमान कोयला कानून को तोड़ा जाएगा। अभी जितनी भीड़ दिख रही है उससे यह स्पष्ट हो रहा है
कि इस क्षेत्र के लोग हमारी जमीन हमारा कोयला के अधिकार को पाने के लिए लामबंद हो गए हैं। हलांकि पिछले पांच साल से इस आंदोलन को लगातार किया जा रहा है।
दो अक्टूबर २०१२ से गारे गांव में कोयला सत्याग्रह की शुरुआत की गई है। तब से लगातार ग्रामीण अपनी जमीन पर अपना कोयला खोदने का हक मांग रहे हैं।
उनका कहना है कि हमारी जमीन का कोयला खोदने का अधिकार हमें दिया जाए। कोई बाहरी हमारी जमीन पर कोयला नहीं खोदेगा।
सरकार को देश के विकास के लिए कोयला चाहिए तो हम खोद कर देंगे, हमारे लिए धान की तरह कोल मंडी की स्थापना की जानी चाहिए। यदि सरकार हमारे जमीन पर हमारे ही कोयले का हक हमें नहीं देती है तो हम भी अपनी जमीन सरकार को नहीं देंगे, चाहे इसके लिए किसी भी हद तक जाना पड़े।
ग्रामीणों का पक्ष मजबूत- इस मामले में ग्रामीणों का पक्ष इस मामले में भी मजबूत दिखता है कि हाईकोर्ट की ओर से आए फैसले में स्पष्ट कहा गया है कि जमीन के अंदर के नीचे के खनिज पर मालिकाना अधिकार भू-स्वामी का है।
बकायदा ग्रामीण इस फैसले की कॉपी भी अपने साथ रखे हुए हैं। इस केस में सरकार यह साबित करने में नाकाम रही थी कि जमीन के अंदर के खनिज पर उसका अधिकार किसी हिसाब से है।
क्या है कानून- वर्तमान में खनिज कानून के अनुसार जमीन के अंदर स्थित खनिज पर सरकार का अधिकार है ऐसे में बिना सरकार की अनुमति के कोई उसे खोद नहीं सकता है।
किसान खुद से अपनी जमीन के कोयले को खोद कर निकालेंगे और उसे सरकारी अधिकारी के आफिस में डंप करेंगे।
किसानों की ओर से इस बात का हवाला दिया जा रहा है कि संविधान के नीति निर्देशक तत्व के धारा ३९ बी में भी खनिज संसाधन पर समुदाय के अधिकार की बात की गई है इसके बाद भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं।
वहीं ८ जुलाई २०१३ के फैसले को भी सरकार नजरअंदाज कर रही है जिसमें कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार इस बात को प्रमाणित नहीं कर सकी है कि जमीन के अंदर स्थित खनिज संसाधन पर राज्य का अधिकार है ऐसे में जमीन के अंदर स्थित खनिज का मालिक भू-स्वामी होगा।
Published on:
02 Oct 2017 04:22 pm
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