
बर्बादी: 22 करोड़ की पेट सीटी-गामा कैमरा को सिस्टम का कैंसर
रायपुर पत्रिका @पीलूराम साहू।Chhattisgarh News: आंबेडकर अस्पताल के कैंसर विभाग में साढ़े 5 साल पहले लगाई गई 22 करोड़ की पेट सीटी स्कैन व गामा कैमरा मशीन सिस्टम के कैंसर का शिकार हो गई। दोनों मशीनें एक भी मरीज की जांच बिना एक्सपायर हो गईं, मशीन की कंपनी द्वारा दी गई वारंटी भी खत्म हो गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो मशीन अब कबाड़ है। पेट सीटी मशीन से शरीर में कैंसर कितना फैला है, इसकी जांच की जाती। निजी अस्पतालों में एक जांच 18 से 20 हजार रुपए में हो रही है। जबकि यहां बीपीएल मरीजों की जांच फ्री होती।
कैंसर विभाग में फरवरी 2018 से पेट सीटी स्कैन मशीन व गामा कैमरा मशीन की स्थापना की गई थी। अस्पताल प्रबंधन ने मशीन चलाने के लिए मुंबई की एक एजेंसी के साथ एमओयू भी कर लिया था। एक तरह से मशीनें पीपीपी मोड पर चलती। इसके लिए अस्पताल प्रबंधन ने बीपीएल मरीजों के लिए 10 हजार व एपीएल के लिए 15500 रुपए जांच शुल्क तय किया गया था। आयुष्मान कार्ड व डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के कार्ड से मरीजों की फ्री जांच होती। जांच के एवज में प्रबंधन एजेंसी को भुगतान करती।
मशीनें अस्पताल की, स्टाफ एजेंसी का
दरअसल मशीनें अस्पताल की हैं, लेकिन पूरा स्टाफ एजेंसी का होता है। हालांकि इसमें भी विवाद हुआ कि अस्पताल प्रबंधन ने क्यों महंगी मशीनों को चलाने के लिए पीपीपी मोड पर दिया। स्टाफ की भर्ती कर मशीनें चलाई जा सकती थीं। मशीनों को चलाने के लिए न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग की जरूरत पड़ती है, जो अस्पताल में नहीं है। प्रबंधन का तर्क है कि इसी कारण मशीनों को चलाने के लिए पीपीपी मोड पर दिया गया। प्रदेश के रायपुर स्थित दो निजी कैंसर अस्पतालों व एम्स में पेट सीटी मशीनें लगी हैं। निजी में जांच काफी महंगी है, वहीं एम्स में लंबी वेटिंग है।
आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में शामिल नहीं
दोनों मशीनों से मरीजों की जांच फ्री होने के लिए ये जरूरी था कि इसे आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में शामिल किया जाता लेकिन कैंसर विभाग के बार-बार पत्र लिखने के बाद अधीक्षक कार्यालय ने दोनों जांच को आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में शामिल नहीं करवाया। पैकेज में शामिल होने के बाद भर्ती बीपीएल व एपीएल मरीजों की जांच फ्री होती। वहीं ओपीडी में आने वाले बीपीएल मरीजों की जांच फ्री की जाती। दरअसल स्मार्ट कार्डधारियों के लिए अस्पताल में महंगी जांचों को भी ओपीडी में भी फ्री किया गया है। इसमें एमआरआई व सीटी स्कैन जांच शामिल है।
बिना प्रशासकीय स्वीकृति 90 फीसदी भुगतान का आरोप
मशीनों को केवल इसलिए शुरू नहीं किया जा सका कि इसमें राजनीति शुरू हो गई। अधिकारियों का दावा है कि पिछली सरकार ने बिना प्रशासकीय स्वीकृति मशीन खरीद ली। यही नहीं 90 फीसदी का भुगतान भी कर दिया गया था। मशीन मरीजों के लिए शुरू भी होने वाली थी, लेकिन विवाद को देखते हुए हाथ खींच लिए गए। इसका सबसे बड़ा नुकसान कैंसर के मरीजों को हो रहा है। उन्हें निजी अस्पतालों में जांच के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि एम्स में लंबी वेटिंग होने के कारण मरीज बाहर जाने के लिए विवश है।
फैक्ट फाइल
प्रदेश में कैंसर के मरीज
मरीजों की संख्या- 75 से 80 हजार
- हर साल 21 हजार से 22 हजार नए मरीज
- हर 100 में 60 मरीजों की हो जाती है मौत
विभाग में उपलब्ध सुविधाएं
- दो एडवांस लिनियर एक्सीलरेटर मशीन
- 10 कैंसर विशेषज्ञ, 3 कैंसर सर्जन, 18 पीजी छात्र
- कीमोथैरेपी, सर्जरी और रेडिएशन
- प्रदेश का एकमात्र रीजनल कैंसर सेंटर
मरीजों की जांच के लिए मशीनें लग चुकी हैं, लेकिन शासन से मंजूरी नहीं मिलने के कारण जांच नहीं हो पा रही है। मशीनों की वारंटी खत्म हो चुकी है। - डॉ. विवेक चौधरी, एचओडी कैंसर विभाग
पेट सीटी व गामा कैमरा दोनों ही कैंसर के मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है। मशीनों का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है, इसकी जानकारी ली जाएगी। - डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई छत्तीसगढ़
Published on:
10 Nov 2023 11:42 am
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