जयेश के पिता बलिराम ने बताया कि बेटे की बीमारी से हम अपने आंसू नहीं रोक पाते हैं। इलाज के लिए डाक्टरों ने 30 से 35 लाख रुपए का अनुमानित खर्च बताया है। इलाज की इतनी बड़ी कीमत के आगे हमारी हिम्मत जवाब दे चुकी है। डॉक्टर का कहना है कि बच्चे के बोन मैरो ट्रांसप्लांट करना पड़ेगा। इसमें बहुत पैसे खर्च होंगे। हर माह खून लगाने के लिए खून पसीने कमाई से काम चल रहा है। लेकिन बेटे के इलाज में लगने वाले 35 लाख रुपए कहां से लाएंगे। अगर प्रशासन हमारी मदद करेगा तो बेटे का इलाज संभव हो जाएगा।
तबीयत बिगड़ी तो पता चला बीमारी का: बलिराम ने बताया कि जयेश जन्म के वक्त स्वस्थ था । मगर माह भर बाद ही जब उसकी तबीयत बिगड़ी तो डॉक्टर ने ब्लड चढ़ाने कहा और यहीं से जयेश को ब्लड चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ जो पिछले 5 साल से जारी है । बलिराम ने बताया कि शुरू में लगा कि ब्लड कम होने से खून लगाने की जरूरत होगी। लेकिन जब हर माह खून लगाने की जरूरत पडऩे लगी तो डॉक्टरों ने बताया कि इसे कोई थैलेसीमिया या बोन मैरो से जुड़ी कोई बीमारी है। जो खून नहीं बनने दे रही है। जांच के बाद ही पता लगाया जा सकेगा कि आखिर कौन सी बीमारी से बच्चा पीडि़त है।
जमा पूंजी खत्म हुई तो मजदूर पिता ने लगाई मदद की गुहार: जयेश के पिता कमजोर आर्थिक स्थिति होने के बाद भी बेटे के इलाज में कराने में हिम्मत नहीं हारी और पूरी जमा पूंजी इलाज में खर्च कर दी। अब तक बेटे के इलाज में ५ लाख रुपए तक खर्च हो चुके हैं। पिता को जहां भी उम्मीद मिलती वहां अस्पताल में जाकर इलाज कराने पहुंच जाते हैं। लेकिन अब इलाज कराना मुश्किल हो गया है। पिता ने कहा कि अगर सरकार हमारी मदद करे तो बेटे का इलाज बेहतर हो जाएगा। पहले की तरह बेटा स्वस्थ्य हो जाएगा।
रिपोर्ट के बाद मिलेगी खर्च की मंजूरी: स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मदद से कुछ दिनों पूर्व चिरायु योजना के अंतर्गत बच्चे का टेस्ट बालको केंसर हॉस्पिटल में हो चुका है । बच्चे के चेकअप में ही लगभग 60 हजार रुपए का खर्च आया, जिसे चिरायु राष्ट्रीय बाल स्वस्थ कार्यक्रम द्वारा वहन किया गया है । जांच के बाद रिपोर्ट आने पर इलाज के लिए लगने वाले खर्च पर मुहर लगेगी ।