
रायपुर . आधार कार्ड में अब सत्यापन करवाने के लिए एक और तरीका आगया है। पहले सिर्फ दो तरीके थे एक तो रेटिना टेस्ट और दुशरा फिंगरप्रिंट टेस्ट, 1 अप्रैल से जो नई चीज़ आने वाली है उसको फेस डेटेक्टशन टेक्नोलॉजी बोलते है । 1 जुलाई से UIDAI भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण आधार कार्ड में फेस रिकॉग्नाइजेशन टेक्नोलॉजी सिस्टम उसे करने वाला है।
आधार कार्ड में पहले से ही फिंगर प्रिंट और आई रेटिना टेस्ट होने के बावजुत भी फेस रिकॉग्नाइजेशन टेक्नोलॉजी की जरुरत इसलिए हुई क्योकि ज्यादातर लोग ऐसे रोजगार में है सम्लित है जहाँ पर शारीरिक काम करना होता है। लेबर, मजूदरी करने से हाथो की रेखाएं कभी कभी गायब या तो फिर बदल जाती है। जिस वजह से आधार कार्ड का सत्यापन करवाने के समस्या आती है। जहा तक रही बात आई रेटिना टेस्ट की तो मोतिया बिन्द, आँखों की समस्या के करना रिकॉग्नाइजेशन सिस्टम फ़ैल हो जाता है। इसलिए फेस रिकॉग्नाइजेशन टेक्नोलॉजी की जरुरत UIDAI को हुई।
चेहरे की पहचान बॉयोमीट्रिक सॉफ्टवेयर से किया जाता है। जो किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से उसकी मैपिंग करता है या यू कहे की फेस को रीड करके उसका डाटा सेव कर लेता है। किसी व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए सॉफ़्टवेयर को सीधा एक लाइव कैप्चर कैमरा से फोटो लिया जाता है और उसको सेव कर लेते है। बाद में फोटो की डिटेल से उस आदमी को पहचना जाता है। फेस रिकॉग्नाइजेशन टेक्नोलॉजी से किसी की भी डिटेल चुराना बहुत मुश्किल होता है।
Published on:
27 Mar 2018 05:07 pm
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