
27 साल पहले रिलीज हुए गीत का कैसेट कवर। (Photo Patrika)
CG Jasgeet: @ताबीर। नवरात्र में जसगीत का विशेष महत्त्व है। हर साल लगभग 100 गाने रिलीज होते होंगे, लेकिन आमा पान के पतरी आज भी दिलों में राज कर रहा है। हमने इसके लेखक अमित प्रधान से इस गाने से जुड़े संस्मरण जाने। वे बताते हैं, 1998 में यह गीत लिखा गया।
यह मेरा पहला गीत था। यह गाना पहले रायगढ़ क्षेत्र में हिट रहा उसके बाद रायपुर अंचल में प्रसिद्धि मिली। यह पूछे जाने पर कि इस गीत को लिखने का कितना मेहनताना मिला, इस पर उनका कहना था कि इस गीत ने मुझे इतना दिया कि आज भी मेरी आजीविका चल रही है।
अमित बताते हैं, इस गीत के बोल हैं आमा पान के पतरी करेला पान के दोना ओ…। जबकि सही मायने में दोना केला पान का होता है। उन दिनों यह बात काफी चर्चे में भी थी। इसलिए दिलीपजी ने कुछ कैसेट में इसे लेकर खेद भी जताया था। चूंकि मेरी उम्र उस समय कम थी, पता नहीं कैसे मैंने लिख दिया था। लेकिन आज मैं मानता हूं कि माता का आशीर्वाद ही है कि वह गीत उस दौर से लेकर आज भी चल रहा है।
जसगीत की दुनिया में दो सिंगर टॉप पर रहे हैं। एक तो दुकालु यादव और दूसरे दिलीप षडंगी। इनके अलावा कई नए सिंगर भी हैं जिनके गाने पसंद किए जा रहे हैं। दुकालु यादव के गीत रायपुर, धमतरी और राजनांदगांव क्षेत्र में ज्यादा सुने जाते हैं जबकि दिलीप षडंगी के जसगीत बिलासपुर, रायगढ़ और जांजगीर आदि में ज्यादा सुने जाते हैं।
कोरी-कोरी नरियल, चंदवा बईगा- दिलीप षडंगी। दिया ऊपर बाती, झारा झारा नेवता - दुकालु यादव। पथरा के देवता- देवेश शर्मा।
अमित बताते हैं इस गाने की खासियत है कि लोगों का झूपना इसी गाने से शुरू हुआ था। हालांकि हम आज तक समझ नहीं पाए कि इसी गाने में क्यों ऐसा होता है।
Updated on:
25 Sept 2025 02:02 pm
Published on:
25 Sept 2025 02:01 pm
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