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5 लाख दें, सीट पक्की… मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिलाने का वादा, NRI-मैनेजमेंट कोटे से नामांकन कराने वाले एजेंट सक्रिय

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है कि एनआरआई कोटे में प्रवेश का क्या नियम होगा? इसके बाद भी एजेंट द्वारा सीटों की बुकिंग पर कई सवाल उठ रहे हैं।

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Admission in Medical Colleges (Photo source- Patrika)

Admission in Medical Colleges (Photo source- Patrika)

Admission in Medical Colleges: पीलूराम साहू@ रायपुर/देश में मेडिकल शिक्षा में भ्रष्टाचार का मामला लगातार चर्चा में है। पहले प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में डमी कैंडिडेट उतारने के कई मामले सामने आए। उसके बाद निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने में भ्रष्टाचार की शिकायत पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कई राज्यों में एक साथ कार्रवाई की। इसके बावजूद मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन शुरू होने से पहले ही एनआरआई और मैनेजमेंट कोटे से नामांकन कराने के लिए एजेंट सक्रिय हो गए हैं।

Admission in Medical Colleges: निजी कॉलेजों के लिए एक से सवा करोड़ रुपए में सीट बुक

सप्ताहभर पहले जिस रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में सीबीआई के छापे पड़े हैं और नए सेशन के लिए यहां जीरो ईयर होने की संभावना है, वहां के लिए भी एजेंट एक करोड़ रुपए में सीट बुक कर रहे हैं। एजेंटों का दावा है कि पांच लाख रुपए एडवांस दीजिए और सीट पक्की समझिए। छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश के निजी कॉलेजों के लिए एक से सवा करोड़ रुपए में सीट बुक की जा रही है।

रावतपुरा निजी मेडिकल कॉलेज में सीटें बढ़ाने के लिए निरीक्षण करने आई नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) की टीम व कॉलेज के 3-3 अधिकारियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। एनएमसी के बेंगलूरू के एक निजी कॉलेज में इस तरह की कार्रवाई के बाद कॉलेज में नए सेशन के लिए जीरो ईयर कर दिया था। पत्रिका रावतपुरा निजी मेडिकल कॉलेज में जीरो ईयर की संभावना जता रहा है।

मेडिकल कॉलेजों में नामांकन कराने के लिए सक्रिय एक एजेंट ने पत्रिका के रिपोर्टर से रिकार्डेड बातचीत में दावा किया कि इस तरह के छापे हर साल पड़ते रहते हैं, लेकिन अंतत: सेटलमेंट हो जाता है और कॉलेज को मान्यता मिल जाती है। उनका दावा कि रावतपुरा के मामले में भी ऐसा ही होगा। हालांकि मेडिकल एजुकेशन से जुड़े अधिकारी, एजेंट के इस दावे को पूरी तरह गलत बता रहे हैं।

चिकित्सा विभाग ने मांगा मार्गदर्शन

छत्तीसगढ़ में स्पांसर्ड एनआरआई कोटे के तहत एडमिशन दिया जा रहा है। इस पर पिछले साल जमकर बवाल हुआ था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्पांसर्ड कोटे के तहत छात्रों को प्रवेश दिया गया था। इसमें दो पीढ़ी के रिश्तेदार एडमिशन के लिए पात्र हैं। इस मामले को लेकर बिलासपुर के एक डॉक्टर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

इस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है। इसके बाद भी एजेंट व निजी कॉलेज वाले एनआरआई सीटों की बुकिंग कर रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भी शासन को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है कि एनआरआई कोटे में प्रवेश का क्या नियम होगा? इसके बाद भी एजेंट द्वारा सीटों की बुकिंग पर कई सवाल उठ रहे हैं।

Admission in Medical Colleges: रिपोर्टर और एजेंट के बीच बातचीत

एनआरआई सीटों पर बुकिंग हो रही है क्या? एजेंट: हां, छत्तीसगढ़ के पांच व मध्यप्रदेश के दो निजी कॉलेजों के लिए एक से सवा करोड़ के पैकेज में सीट मिल जाएगी।

आप सीट कैसे दे देंगे? सीट तो काउंसलिंग व मेरिट के माध्यम से मिलती है।एजेंट: पांच लाख एडवांस दीजिए और सीट पक्की समझिए। हमने पिछले सालों में कई छात्रों के प्रवेश कराए हैं।

आवंटन सूची तो डीएमई कार्यालय से निकलती है? फिर सीधे प्रवेश कैसे संभव है? एजेंट: बिना बुक किए सीट कंफर्म नहीं होती, हर छात्र एक से सवा करोड़ नहीं दे सकता न।

छत्तीसगढ़ में मामला हाईकोर्ट में चल रहा है, फिर बुकिंग का क्या मतलब? एजेंट: ये मामला भी जल्द सॉल्व हो जाएगा। प्रवेश में कोई दिक्कत नहीं होगी।

रावतपुरा में सीबीआई छापे के बाद तो जीरो ईयर की संभावना है, तो बुकिंग क्यों?एजेंट: देश में हर साल कहीं न कहीं छापे पड़ते रहते हैं, लेकिन अंतत: कॉलेज को मान्यता मिल जाती है।