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AI Fake degree: AI टूल्स से मिनटों में बन रही हैं नकली डिग्रियां, देखकर चकरा जाएगा सिर..

AI Fake degree: सोशल मीडिया पर नकली डिग्री वाले वीडियो वायरल हो रहे है। इसे लेकर चिंता बढ़ गई है। ऐसे में कई लोग ऐसे फर्जी डिग्री का इस्तेमाल कर धोखा देर रहे हैं। एक्सपर्ट का क्या कहना, चलिए जानते हैं..

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AI Fake degrees

Fake degrees AI Photo

ताबीर हुसैन.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का बढ़ता दखल (AI Fake degrees) अब शिक्षा क्षेत्र के लिए चिंता का सबब बन गया है। जहां एक ओर इसका उपयोग ई-लर्निंग और स्किल डेवेलपमेंट में हो रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसका इस्तेमाल फर्जी डिग्री, मार्कशीट और हैल्थ सर्टिफिकेट बनाने में कर रहे हैं। ग्राफिक टूल्स और जनरेटिव एआई की मदद से अब ऐसी डिग्रियां बनाई जा रही हैं जो असली जैसी लगती हैं।

AI Fake degree: एआई से बने फर्जी सर्टिफिकेट

यूनिवर्सिटी का नाम, सीरियल नंबर, ग्रेडिंग सिस्टम तक हूबहू असली जैसा दिखता है। एआई से बने फर्जी सर्टिफिकेट और मार्कशीट को लेकर इंस्टाग्राम पर वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। हैल्थ सर्टिफिकेट को लेकर वेबसाइट का जिक्र भी किया जा रहा है।

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एक्सपर्ट बोले- ब्लॉकचेन वेरिफिकेशन, सख्त निगरानी से लगेगी लगाम

एनआईटी रायपुर कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर नरेश नागवानी कहते हैं, एआई से बनी फर्जी डिग्रियां अब इतनी असली लगती हैं कि बिना डिजिटल वेरिफिकेशन के पकड़ पाना थोड़ा मुश्किल है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और नेशनल अकैडमिक डिपॉजिटरी जैसे प्लेटफॉर्म को मजबूती से लागू करना जरूरी है। वैसे नेशनल इंस्टीट्यूट की डिग्रियों में डिग्रियों में होलोग्राम, वॉटरमार्क, कलरकोड, सिक्वेंसिंग सिक्योरिटी फीचर होते हैं। वहीं निजी कंपनी के एचआर हेड राहुल अग्रवाल कहते हैं, हमने अब हर कैंडिडेट की डिग्री सीधे यूनिवर्सिटी या सरकारी पोर्टल से वेरिफाई करना शुरू कर दिया है। कई बार सीवी में दी गई जानकारी भ्रामक होती है।

समाधान क्या है?

ब्लॉकचेन आधारित डिग्री: जिससे कोई सर्टिफिकेट बदला नहीं जा सके।

डिजिटल डेटाबेस: जैसे डिजीलॉकर, एनएडी जहां से कंपनियां सीधी पुष्टि कर सकें।

एआई डिटेक्शन एल्गोरिदम: जो फर्जी डॉक्यूमेंट्स का मेटाडेटा और पैटर्न स्कैन करके नकली डॉक्यूमेंट को पकड़ सके।