air pollution : हवा सांस लेने लायक, लेकिन छोटे शहर बन रहे हॉट स्पॉट
राजेश लाहोटी रायपुर। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा इस वर्ष के लिए किए गए एक अखिल भारतीय शीतकालीन वायु गुणवत्ता सर्वे में पाया गया कि सर्दियों के दौरान हवा में कण प्रदूषण बढ़ा और यह अलग-अलग उच्चता के साथ रहा है। हालांकि अधिकांश क्षेत्रों में पीएम 2.5 का समग्र क्षेत्रीय औसत पिछली सर्दियों की तुलना में कम था, लेकिन कई क्षेत्रों में सर्दियों की धुंध में बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि यह सर्वे 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लेकर किया गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ वायु प्रदूषण से बेखबर रहा है। वह भी तब जब यहां कोल ब्लाक चल रहे हैं और पावर प्लांट के हब के रूप में रायगढ़ और जांजगीर विकसित हो चुके हैं। फिर भी छोटे शहर हॉट स्पॉट बन रहे हैं जो चिंताजनक है। यह सर्वे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल सेंट्रल कंट्रोल रूम फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दानेदार रीयल टाइम डेटा (15 मिनट का औसत) पर आधारित है। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 161 शहरों में फैले कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत 326 आधिकारिक स्टेशनों से डेटा कैप्चर किए गए हैं। सीएसई के अधिकारियों का कहना है कि शीतकालीन प्रदूषण बड़े शहरों या एक विशिष्ट क्षेत्र तक सीमित नहीं है, यह अब एक व्यापक राष्ट्रीय समस्या है, जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके लिए प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है, खासकर वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र और अपशिष्ट प्रबंधन का सही तरीके से समाधान बहुत ही जरुरी है। सीएसई के अधिकारी इस सर्वे के आधार पर कहते हैं कि 24 घंटे के पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के नजरिए से, उत्तर भारतीय शहरों में औसत दैनिक प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा दर्ज किया गया है। उत्तर के भीतर, दिल्ली-एनसीआर सबसे प्रदूषित उप-क्षेत्र बना हुआ है, जहां उनके सबसे खराब दिन औसत से लगभग पांच गुना अधिक हैं। दक्षिण के शहरों की भी हालत ज्यादा अच्छी नहीं है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि वायु प्रदूषण का स्तर पिछले सालों की तुलना में काफी कम हुआ है। सर्वे रिपोर्ट बताती है कि बड़े शहर चिंताजनक स्थिति में नहीं है, लेकिन छोटे शहर हॉट स्पॉट के रुप में अब सामने आने लगे हैं, जिनके लिए समाधान खोजना बेहद जरुरी है।
इस वायु गुणवत्ता ट्रैकर पहल ने प्रत्येक क्षेत्र और अंतर-क्षेत्रीय अंतर के भीतर सर्दियों की हवा की गुणवत्ता को बेंचमार्क करने में मदद की है। – अविकल सोमवंशी, प्रोग्राम मैनेजर, अर्बन डेटा एनालिटिक्स लैब, सीएसई
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