
कोरोना के भूत
बइगा बबा अपन घर के आगू गली के चौंरा म बइठे फूंक-झार करत रहंय। कहिथे-जा फिरंगी मोर फूंक-झार करे आय, तोर सब्बो सरदी, खांसी, बुखार मिटा जाहंय।
ओतके बखत गली म बारहवीं पढ़इया लइका राजकुमार नहकत रहंय। बइगा बबा के गोठ ल सुनके कहिथे - बइगा बबा ये का कहत हस। ये समे हर सरदी, खांसी, जर-बुखार ल कोनो मामूली झन समझव ग। कोरोना हो सकत हे। तोर झार-फूंक करे म नइ जावय। चार दिन पहली दादूसिंह तको ल तंय झार-फूंक करे रहे, वोकर तबियत अउ जादा बिगडग़े। वोला सहर के अस्पताल लेगे हें। अंधबिसवास ल छोड़व बबा। हवा म फइलइया कोरोना हो सकत हे। जउन ह तोरो म फइल सकत हे। तोर ले तंय जउन-जउन ल झार-फूंक करबे वोमन ल हो सकत हे। तंय बीमारी ल मिटाये बर छोड़ के बगराये के काम करत हस बबा। लोगन ल डाकटर करा जाय के सलाह दे बबा।
बइगा बबा मार गुस्सा ले आंखी लाल-लाल करके कहिथे- आज के लइका मोला सिखावत हस रे, चल अपन रद्दा नाप बढ़ पढ़हंता बने हस। दू-चार दिन गुजरे रहय। गांव म लॉकडाउन लग गे रहय। सब्बो मनखेंन अपन-अपन घर म धंधाये रहंय। राजकुमार अपन घर के छत म चढ़े रहय। रात हो गे रहय। का देखत हे बइगा बबा अपन घर के परछी म उतान बेसुध सुते हे। वोकर घरवाली गियानमती रोवत रहंय। उठ न हो, कुछु काहे नइ गोठियावव, का होगे तुमन ल। काला बलावंव सब्बो मनखे के फइरका देवाये हे।
राजकुमार सोचे लगिस- कहुं बइगा बबा ल कोरोना तो नइ होगे। डाकटर ले देखाये के जरूरत हे। डाकटर तको गांव ले एक कोस दूरिहा रहिथे। दू-चार घर ल आवाज दिस, कोनो अपन दरवाजा ल नइ खोलय। राजकुमार सोचे लागिस- कोरोना के बखत म- मनखे के मया, मनखे बर काहे कम होगे। कतको आंखी दुख भरे पानी नम होगे। राजकुमार डाकटर बलाये बर चल दिस। रद्दा म लॉकडाउन म पुलिस पकड़ लिस। वोहा सब्बो बात ल बताइस। पुलिसमन के तको आंसू आ गे। धन-धन रे लडक़ा। पुलिसमन एम्बुलेंस बुलाइन अउ सहर के अस्पताल म बइगा बबा ल पहुंचाइन।
पच्चीस दिन बाद बइगा बबा अस्पताल ले घर आइस। बइगा के घरवाली गियानमती ह राजकुमार ल हाथ जोडक़े रोवत कहिथे- बेटा आज तंय मोर सुहाग के परान ल बचाये हस। सही समे म डाकटर एम्बुलेंस ल बलाय हस। अस्पताल म डाकटर कहत रहिस- एको घंटा देरी होतिस तब बचना मुसकुल रहिस। ऑक्सीजन लेवल निमगा गिर गे रिहिस। तोर ये उपकार के करजा कइसे चुकावव बेटा।
राजकुमार कहिस- बइगिन दाई, ये तो मोर फरज रहिस। महुं तो मनखे आंव। करजा तो मंय तोर चुकाये हंव महतारी। मंय नानकुन रहेंव, तव गली म भइंसा मोला मारत रहिस तब तंय अपन जान ल नइ देखे भइंसा ले लड़ के मोर जान ल बचाये रहे। मोला अपन कोरा म उठाके अपन अंचरा ले माटी धुररा ल पोछे रहे। अपन अंचरा के मया-दुलार ल पुरोये रहे महतारी। लागथे आज तोर करजा चुका डारेंव दाई। बइगा बबा बाचगे, ऐकर ले अउ बड़े का खुसी हो सकत हे।
बइगा बबा कहिथे- राजकुमार बेटा पढ़े-लिखे म कतक गुन हे रे, आज मंय समझे हंव। गियान-बिग्यान के बात ल छोड़ के मंय अंधबिसवास, झार-फूंक म अपन जान के दुसमन बन गे रहेंव। धन-धन हे हमर अखबार, टीवी, रेडियो वालामन ल जउन समाज ल समे म सही जानकारी देवत हें, जगावत हें। हमर डाक्टर, नर्स, पुलिस अउ जम्मो मनखें करमचारीमन अपन जान ल जोखिम म डार के दूसर के परान बचाये के उदिम करत हें। मानव सेवा म लगे हें। सब्बाोमन ये माटी के सच्चा सपूत आंय।
Published on:
21 Feb 2022 04:37 pm
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