
CM सचिवालय का आदेश ताक पर, ACB ने नहीं सौंपी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे आबकारी बाबू की फ़ाइल
रायपुर । आबकारी विभाग (Excise Department chhattisgarh) में तैनात बाबू दिनेश दुबे के प्रकरण में आदेश के 72 घंटे बाद भी एसीबी (Anti Corruption Bureau) ने इस मामले की फ़ाइल सीएम सचिवालय (CM Secretariat) को नहीं सौंपी है। एसीबी की मांग पर कोर्ट (Court) ने मामले को खत्म करने के साथ- साथ दिनेश के सभी सीज बैंक खातों को खोलने के आदेश दे दिए हैं। चौंका देने वाला तथ्य यह है कि जिस आबकारी बाबू के खिलाफ छापेमारी (Raid) की कारवाई में एसीबी ने पांच करोड़ की संपत्ति का खुलासा किया था, मामले को ख़त्म करने के लिए उसकी संपत्ति को लगभग 1 करोड़ बताया है ।
एसीबी के बिलासपुर में तैनात डीएसपी अजितेश कुमार सिंह (DSP Ajitesh Kumar Singh) ने जो रिपोर्ट न्यायालय को प्रस्तुत की है उसमे कहा गया है कि दिनेश दुबे ने सम्पूर्ण सेवाकाल में 1 करोड़ 19 लाख 39 हजार 304 रुपये की संपत्ति हासिल की है जिनमे से 83 लाख 74 हजार 441 रूपए व्यय किये गए, ऐसे में दिनेश को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी नहीं बनाया जा सकता ।
केस ख़त्म करने के आदेश के बाद आपत्तियों पर सुनवाई
मुख्यमंत्री कार्यालय को इस प्रकरण की फ़ाइल उपलब्ध न कराने के सम्बन्ध में एसीबी (Officer of Anti Corruption Bureau ) के अधिकारियों का कहना है कि गुरूवार को केस डायरी न्यायालय में प्रस्तुत की जाएगी उसके बाद सीएम सचिवालय को भेजी जा सकती है ।लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सीएम कार्यालय (CM Office Chhattisgarh) को इस तथ्य से अवगत कराया गया है कोई जवाब नहीं मिला।
सीज किये हुए खाते खोलने का आदेश
एसीबी (Anti Corruption Bureau ) ने अपनी विवेचना में कहा है कि दिनेश दुबे के यहाँ छापेमारी के दौरान किसी किस्म की जब्ती नहीं की गई थी। एसीबी (Anti Corruption Bureau Bilaspur) बिलासपुर के डीएसपी अजितेश कुमार सिंह ने न्यायालय को कहा है कि इस मामले में कोई संपत्ति जब नहीं की गई है। मात्र अभियुक्त एवं उनके द्वारा चलाये गए खाते का संचालन रोका गया है।
महत्वपूर्ण है कि 2009 से दिनेश कुमार दुबे ने आबकारी विभाग में लिपिक पद से अपनी नौकरी की शुरुआत की थी, और 2018 तक 9 साल में इनकी सैलरी 20 लाख रुपये होनी चाहिए थी लेकिन इस अवधि में दिनेश ने न केवल तीन तीन मकान खड़े किये बल्कि बेटी की विदेश में पढ़ाई के अलावा चार बैंक खातों का संचालन करता रहा। इतने पैसों में यह संपत्ति कैसे खड़ा की गई , इसका जवाब अब तक अनुत्तरित है।
इस प्रकरण में दो अहम सवाल सामने हैं
1 - एसीबी के डीजी वी के सिंह ने केस के खात्मे की फाइल आईजी व अन्य अफसरों के बजाए सीधे एसीबी के बिलासपुर पदस्थ डीएसपी को फ़ाइल क्यों भेज दी।
2- जिस डीएसपी ने इस मामले में छापेमारी कर पांच करोड़ की संपत्ति मिलने की बात कही थी उसी ने दिनेश के दोषमुक्त होने की रिपोर्ट कैसे प्रस्तुत कर दी ?
Published on:
03 Jul 2019 10:28 pm
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