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Bahula Chaturthi 2021: द्वापरयुग की इस कथा से जुडी हुई है बहुला चौथ की मान्यता, जानिये पूजा विधि और लाभ

Bahula Chaturthi 2021: 25 अगस्त को बहुला चतुर्थी है। इस दिन माताएं और बहनें व्रत रखकर गाय-बछड़े की पूजा कर माताएं संतान की और बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामना करेंगी। शाम को उबला चना, घी-रोटी का भोग लगाएंगी।

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Bahula Chaturthi 2021: द्वापरयुग की इस कथा से जुडी हुई है बहुला चौथ की मान्यता, जानिये पूजा विधि और लाभ

Bahula Chaturthi 2021: द्वापरयुग की इस कथा से जुडी हुई है बहुला चौथ की मान्यता, जानिये पूजा विधि और लाभ

रायपुर. Bahula Chaturthi 2021: रक्षाबंधन पर्व मनने के साथ ही अब तीज-त्योहारों की बहार आ रही है। हर दूसरे-तीसरे दिन मातृशक्ति उपवास, पूजा-अर्चना में तीजा-पोला तक जुटी नजर आएंगी। इस दौरान कजली गीत भी गूंजित होगी। तीजा-पोला के बिहान गणेश चतुर्थी तिथि 10 सितंबर को है।

इस तिथि पर गणेशोत्सव पर घरों से पूजा पंडालों तक विघ्नहर्ता विराजेंगे और अनंत चतुर्दशी तक उत्सव की धूम, परंतु कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ। 25 अगस्त को बहुला चतुर्थी है। इस दिन माताएं और बहनें व्रत रखकर गाय-बछड़े की पूजा कर माताएं संतान की और बहनें भाइयों की लंबी उम्र की कामना करेंगी। शाम को उबला चना, घी-रोटी का भोग लगाएंगी।

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बहुला चौथ की कथा द्वापरयुग से जुड़ी

पंडित चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार बहुला चतुर्थी का व्रत-पूजा की मान्यताएं द्वापरयुग की कथा से जुड़ी हुई हैं। गाय वन में चरने गई थी। शाम को वापसी के समय शेर उसे रोक लिया। तब बहुला गाय अपने बच्चों को दूध पिलाने कर वापस लौट आने की शपथ ली और वह अपने बच्चे के साथ शेर के पास पहुंची। गाय-बछड़े में कभी मुझे खाओ की होड़ देखकर भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हुए। भगवान की उसी लीला का प्रतीक बहुला चौथ का व्रत माताएं-बहनें रखती हैं।

इस बार 25 अगस्त को तृतीया और चतुर्थी तिथि की युति है। उदय तिथि की मान्यता से माताएं-बहनें व्रत रखकर गाय-बछड़े की पूजा करेंगी। गाय, बछड़ा को खिलाएंगी। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान के सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं।

बहुला व्रत विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान के बाद साफ कपड़े धारण करना चाहिए। इस दिन महिलाएं निराहार व्रत रखती हैं। शाम के समय गाय और बछड़े की पूजा करती हैं। शाम को पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। जिन्हें बहुला को अर्पित किया जाता है। इस भोग को बाद में गाय और बछड़े को खिला दिया जाता है। कहते हैं कि बहुला चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा का भी विशेष महत्व है।

बहुला चतुर्थी व्रत से लाभ

कहते हैं कि बहुला चतुर्थी व्रत संतान को मान-सम्मान और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है। निसंतान को संतान सुख की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान को कष्टों से मुक्ति मिलती है और धन-धान्य में बढ़ोत्तरी होती है।

कोरोनाकाल के कारण पिछले साथ जैसा ही शहर के बहुत कम जगहों पर गणपति बप्पा को विराजने की तैयारियां हैं। क्योंकि प्रशासन की गाइडलाइन सख्त है। न मूर्तियां लाने और न विसर्जन करने में धूम रहेगी। क्योंकि बैंडबाजा, डीजे पर रोक लगी हुई है। इसे देखते हुए पहले जैसा गणेशोत्सव नहीं होगा। बड़ी आकर्षक झांकियां भी नहीं बनेगी। गणपति बप्पा की घरों में छोटी और पूजा पंडालों में केवल 4 फीट की मूर्तिया विराजकार गणेशोत्सव समितियां परंपरा को पूरा करेंगी।

व्रत-पूजा की तिथियां एक नजर में

- 25 अगस्त को कजली तीज और बहुला चतुर्थी

- 28 अगस्त हलषष्ठी व्रत यानि की कमरछठ पूजा

- 30 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत पूजा महोत्सव

- 3 सितंबर को अजा एकादशी व्रत

- 4 सितंबर को प्रदोष व्रत

- 5 सितंबर मास शिवरात्रि व्रत पूजा

- 6 सितंबर पोला उत्सव पूजा

-7 सितंबर को अमावस्या

- 9 सितंबर को हरितालिका तीजा व्रत

- 10 सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत, पूजा महोत्सव

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