
रायपुर. ऋतुराज बसंत की आहट है। जब फूलों में बहार, खेतों में सरसों के सुनहरी हरियाली और गेहूं की बालियां खिलने लगती है तो बसंत उत्सव की बहार आ जाती है। बसंत उत्सव 16 फरवरी को है, जो इस बार पंच महायोग लेकर आ रहा है। यह तिथि मां सरस्वती के पूजन के लिए विशेष मानी गई है। शहर के गायत्री शक्तिपीठों और संत-महात्माओं के आश्रमों में विद्यारंभ संस्कार का आयोजन करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
साल में छह ऋतुएं आती हैं, जिनमें बसंत ऋतु सबसे अधिक सुहानी मानी गई है। सरसों में सुनहरे पुष्प और आम में बौर आने लगती हैं। पेड़ों के पत्ते झड़कर नए कपोले ऋतुराज का स्वागत करती हैं। पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार इस बार ऐसा संयोग बन रहा है, जब बसंत पंचमी के दिन पंच महायोग का शुभ मुहूर्त मां सरस्वती का पूजन होगा। शहर के मठ-मंदिरों में अभिषेक पूजन के साथ उत्सव मनेगा।
ऐसा बन रहा संयोग
पंडित शुक्ल के अनुसार माघ मास की पंचमी तिथि पर पंच महायोग में ध्वज योग, साध्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग और रवि योग एक साथ है। ऐसा संयोग दुर्लभ होता है। इसी मुहूर्त में विद्या की देवी मां सरस्वती का पूजन होगा। जो बच्चे पहली बार विद्यालयों में कदम रखने वाले हैं, उनका विद्यारंभ संस्कार कराया जाएगा। यानि मंत्रोच्चार के बीच अक्षर लिखने का अभ्यास कराया जाता है। विधानपूर्वक की गई विधि से बच्चों में ज्ञान की वृद्धि होती है।
आश्रम के गुरुकुल में होगा वेद पाठ
बोरियाकला शंकराचार्य आश्रम के प्रमुख इंदुभवानंद महाराज ने बताया कि आश्रम परिसर में गुरुकुल संचालित किया जा रहा है। जहां बच्चों को संस्कृत की शिक्षा दी जा रही है। बसंत पंचमी (Basant Panchami) पर बच्चों के बीच वेद पाठ कर मां सरस्वती का पूजन कराया जाएगा। इसी तरह समता कॉलोनी गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य ट्रस्टी श्याम बैस के अनुसार बच्चों का अन्न प्राशन्न, विद्यारंभ संस्कार का आयोजन किया जाएगा।
Published on:
10 Feb 2021 11:39 am
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