
शीतलहर की चेतावनी (photo source- Patrika)
CG weather update: छत्तीसगढ़ के उत्तरी क्षेत्र में पड़ रही कड़ाके की ठंड नवजातों व कम उम्र के बच्चों के लिए आफत बन गई है। उत्तरी क्षेत्र का पारा 5 डिग्री पर चल रहा है और यह क्षेत्र शीतलहर की चपेट में है। ऐसे में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। पिछले एक माह में आंबेडकर समेत निजी अस्पतालों में हाइपोथर्मिया के 400 से ज्यादा केस आए हैं।
पर्याप्त सावधानी नहीं बरतने पर यही बच्चे हाइपोथर्मिया का शिकार हो रहे हैं। ऐसे बच्चों को एनआईसीयू व एसएनसीयू में रखकर इलाज करने की जरूरत पड़ रही है। राजधानी समेत प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। उत्तर व मध्य छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में शीतलहर चल रही है, जो नवजात व बच्चों को बीमार कर रहा है। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार शरीर का तापमान 37 डिग्री होता है। जब ठंड के सीजन में तापमान कम हो जाता है, तब सबसे ज्यादा बच्चे ही प्रभावित होते हैं।
शरीर का तापमान इससे कम होने पर हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों को वयस्कों की तुलना में जल्दी ठंड लगती है क्योंकि उनकी मांसपेशियां कम होती हैं। प्री मेच्योर डिलीवरी, मां को हाई बीपी व सीजेरियन डिलीवरी के कारण भी शिशु को हाइपोथर्मिया का रिस्क बढ़ जाता है। नवजात का शरीर का तापमान अचानक कम होना या ठंडा होना, हाइपोथर्मिया का लक्षण है। इससे बचने के लिए बच्चों को टोपी पहनाकर, शरीर को गर्म कपड़े से ढंक लेना चाहिए।
राजधानी में गुरुवार को न्यूनतम तापमान 11.3 डिग्री रहा। यह सामान्य से 2.8 डिग्री कम है। दिन का अधिकतम तापमान 28.7 डिग्री है। यह सामान्य से मामूली कम है। दिन व रात के तापमान में 17 डिग्री का अंतर है। तापमान में इसी उतार-चढ़ाव के कारण न केवल बच्चे, बल्कि युवा व बुुजुर्ग भी बीमार पडऩे लगे हैं।
आंबेडकर अस्पताल समेत निजी अस्पतालों की ओपीडी में वायरल फीवर के मरीज पहुंचने लगे हैं। आंबेडकर में तो मेडिसिन, पीडियाट्रिक व चेस्ट विभाग में ऐसे 600 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। जबकि रोजाना 2000 से ज्यादा मरीजों का इलाज ओपीडी में किया जा रहा है। ज्यादातर लोग वायरल, सर्दी-खांसी से बीमार हो रहे हैं।
ज्यादा ठंड में नवजात व छोटे बच्चों को हाइपोथर्मिया का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। ऐसे केस आने भी शुरू हो गए हैं। इनमें ज्यादातर रेफरल केस हैं। बच्चों को सुबह कभी भी घर से बाहर न निकालें। इससे हाइपोथर्मिया का रिस्क बढ़ सकता है-डॉ. ओंकार खंडवाल, एचओडी पीडिया आंबेडकर अस्पताल
हाइपोथर्मिया एक लाइफ थ्रेटङ्क्षनग इमरजेंसी की स्थिति है। इसमें शरीर का सामान्य तापमान 98.6 फॉरेनहाइट से नीचे चला जाता है। इसके कारण शरीर सामान्य रूप से फंक्शन नहीं कर पाता है। शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। पीडियाट्रिशियन डॉ. आकाश लालवानी के अनुसार ठंड के मौसम में हवा या पानी के संपर्क में आने से शरीर अपनी गर्मी तेजी से खोता है।
दरअसल शरीर की 90 फीसदी गर्मी त्वचा व बाकी सांस के जरिए निकलती है। ठंडी हवा या नमी के संपर्क में यह प्रक्रिया और तेज हो जाती है। अगर कोई व्यक्ति ठंडे पानी में है, तो उसका शरीर हवा की तुलना में 25 गुना तेजी से अपनी गर्मी खोता है।
Updated on:
12 Dec 2025 09:52 am
Published on:
12 Dec 2025 09:51 am
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