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अब दो नहीं चार साल का होगा बीएड का कोर्स, 12 वीं पास छात्र भी सीधे ले सकेंगे एडमिशन

प्रदेश में अब बीएड का कोर्स दो नहीं चार साल का होगा। साथ ही अब 12 वीं पास छात्र भी इस कोर्स के लिए सीधे एडमिशन ले सकेंगे, पढ़े पूरी खबर...

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रायपुर। इस साल के बाद से बीएड दो साल का नहीं रहेगा, चार साल का एकीकृत बीएड करना होगा। राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण परिषद (एनसीटीई) ने शहर के बीएड कॉलेजों को अधिसूचना जारी कर दी है।

एकीकृत बीएड में प्रवेश को लेकर नियमावली भी भेज दी गई है। बताया जा रहा है कि शैक्षणिक सत्र 2018-19 के बाद सभी बीएड कॉलेजों का इनटेक शून्य हो जाएगा। संचालन के लिए चार साल का एकीकृत पाठ्यक्रम शुरू कराना होगा। अभी बीएड में दाखिला लेने के लिए कोई एज बार नहीं है, लेकिन एकीकृत बीएड में ३३ साल से अधिक आयु का व्यक्ति एडमिशन नहीं ले पाएगा।

...तो बीएड कॉलेजों पर आएगी मुश्किल

एनसीटीई ने गाइडलाइन जारी की है, लेकिन 2020 से इसका असर दिखने को मिलेगा। आधे से अधिक कॉलेजों में अभी सिर्फ बीएड की पढ़ाई कराई जा रही है, जबकि एकीकृत बीएड के लिए उन्हें बीए और बीएससी का पूरा सेटअप तैयार करना होगा। यानि बीएड कॉलेजों का खर्चा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ेगा। प्राचार्य स्वरूपानंद कॉलेज डॉ. हंसा शुक्ला ने बताया कि एनसीटीई ने एकीकृत बीएड का सर्कुलर जारी किया है, लेकिन इसमें बहुत से डाउट हैं।

यह भी नहीं बताया गया है कि बीकॉम बीएड कैसे संचालित होगा। हालांकि चार साल का एकीकृत बीएड लागू होने में अभी काफी समय है। रजिस्ट्रार दुर्ग विवि डॉ. एसके त्रिपाठी ने बताया कि एससीईआरटी ने बीएड कॉलेजों की सीटों की जानकारी मांगी है, जिसे हम जल्द ही भेज देंगे। एकीकृत बीएड को लेकर सर्कुलर तो मिला है। परिषद के निर्देश के हिसाब से कार्यवाही करेंगे। राज्य शैक्षिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान परिषद ने दुर्ग विवि को पत्र लिखकर ५ जून तक सभी बीएड कॉलेजों में सीटों का विवरण मांगा है।

क्या है एकीकृत बीएड पाठ्यक्रम

नए नियमों के तहत अब छात्र 12 वीं के बाद सीधे बीए, बीएड या बीएससी बीएड में प्रवेश लेंगे। यह वैसे ही है जैसे १२वीं के बाद छात्र इंजीनियरिंग या एमबीबीएस में एडमिशन लेते हैं। मतलब जिन छात्रों को टीचिंग में रुचि है, वे 12वीं के बाद स्नातक के दौरान ही बीएड की पढ़ाई करके एकीकृत डिग्री ले सकेंगे।

एनसीटीई ने तर्क दिया है कि अभी तीन साल का स्नातक और फिर दो वर्ष का बीएड होता है, यानी कुल पांच वर्ष छात्रों को लग जाते हैं। इससे एक फायदा यह होगा कि जिस विषय से छात्र बीएड करेंगे, उसमें शुरू से ही टीचिंग स्किल सीख पाएंगे।