भैयाजी जोशी ने राजधानी के विवेकानंद स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में रविवार को स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि म्यांमार से रोहिंग्या हमारे देश में आए हैं। वहां हिंदुओं की भी हत्या हुई है। म्यांमार सरकार ने सख्ती की तो वो भारत में आ गए। संघ के सरकार्यवाह बोले कि म्यांमार के पूर्वी भाग से चला एक समूह भारत के उत्तरी भाग जम्मू तक चला जाता है। वहां बसने और सुविधाओं की मांग करता है। क्या भारत में ऐसे लोगों को शरण देना जायज है। उनका कहना था कि इनको बसने देने से सामान्य व्यक्तियों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
Read news: आखिर क्या है अनुप जलोटा की बस्तर से नाराजगी की वजह, क्यों रात में ही लौट गए वापस कार्यक्रम को अमरकंटक के महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद ने भी संबोधित किया। आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत, महिला बाल विकास मंत्री रमशिला साहू, रायपुर सांसद रमेश बैस और राजनांदगांव सांसद अभिषेक सिंह भी शामिल हुए। भैयाजी जोशी के व्याख्यान से पहले संघ के स्वयंसेवक राजधानी में पथ संचलन करते हुए आयोजन स्थल स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में पहुंचे।
सेना को अधिकार की वकालत
भैयाजी जोशी का कहना है कि सेना की ओर देखने की दृष्टि ठीक करनी जरूरी है। सीमा पर अपनी फौज विपरीत परिस्थितियों में खड़ी है। सीमाओं से हथियार, लकड़ी नशीली दवाइयों की तस्करी होती है। दुश्मन आता है। ऐसे में सेना के हाथ में अधिक ताकत देने की जरूरत है।
Read news:छत्तीसगढ़ में बोनस तिहार से पहले दो किसानों ने की आत्महत्या, भारी भरकम कर्ज का था दबाव भारत और हिंदू अलग-अलग नहीं जोशी ने कहा कि भारत और हिंदू अलग-अलग शब्द नहीं हैं। भारत का इतिहास लिखा जाएगा तो वह हिंदुओं का इतिहास होगा। महापुरुषों के नाम हिंदू समाज के महापुरुषों के नाम होंगे। तीर्थों और धर्मग्रंथों के नाम में भी हिंदू ही आएगा। भारत हिंदू मूल्यों से अलग नहीं हो सकता।
स्थानीय उद्योग और कृषि की भी बात
संघ के सरकार्यवाह जोशी ने कहा कि कुछ देश भारत में अपने माल भर रहे हैं, जिससे स्थानीय उद्योगों के सामने संकट खड़ा हो गया है। बिजली के उपकरण, पटाखे और देवताओं की मूर्तियां तक चीन से आ रही हैं। इनको रोकना होगा। देखना होगा कि सरकार की आर्थिक नीति स्थानीय उद्योगों और लोगों को राहत देने वाली हों। वहीं केवल बड़े उद्योगों को सामने रखकर भारत नहीं चलता। उनका कहना था कि सिर्फ कर्ज माफी से कुछ नहीं होने वाला है, बल्कि कृषि मूल्य निर्धारण की वैज्ञानिक व्यवस्था करनी होगी, ताकि किसान आत्महत्या जैसा कदम न उठाएं।