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छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म ‘भूलन द मेज’ का डंका अब पुरे देश में बजेगा

छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म को पुरे देश में रिलीज़ कर दी गयी है। निर्देशक का मानना है की इस फिल्म का कमर्शियल सक्सेस होना बहुत ज़रूरी है, ताकि भविष्य में छत्तीसगढ़ की संस्कृति को विश्व पटल पर पहचान मिल सके।

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रायपुर। छत्तीसगढ़ी संस्कृति का डंका अब पुरे देश में बजेगा। छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी फिल्म 'भूलन द मेज' का चयन रीजनल फिल्म कैटेगरी में बेस्ट फिल्म के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए किया गया है। गरियाबंद के भुजिया गांव जैसे अंदुरनी इलाके में बानी यह फिल्म आज देश भर के 100 सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई। फिल्म संजीव बख्शी के उपन्यास 'भूलन कांदा' पर आधारित है जिसे छत्तीसगढ़ के ही डायरेक्टर मनोज वर्मा ने निर्देशित किया है।

डायरेक्टर मनोज वर्मा ने बताया कि फिल्म की शुटिंग गरियाबंद जिले के महुआभाठा के जंगलों में हुई जो की बेहद अंदरूनी क्षेत्र है। शूटिंग के दौरान देर रात जंगली जानवरों का खतरा भी बना रहता था। इस दौरान क्रू को दहसत में कई रात गुज़ारनी पड़ी। डायरेक्टर मनोज ने बताया कि फिल्म बनाते समय ही उन्होंने सोच लिया था कि इसे नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर पहुंचना है। अब नेशनल अवार्ड के लिए चयनित होने से फिल्म से जुड़े लोगों में उत्साह बढ़ गया है। फिल्म बनाने मात्र से नहीं होगा, इसका कमर्शियल सक्सेस होना भी जरूरी है, तभी कोई फिल्मकार भविष्य में ऐसी दूसरी फिल्म बनाने की हिम्मत करेगा। इसलिए सरकार का भी सिनेमा को सहयोग करना जरूरी है।

फिल्म के टाइटल में 'भूलन' शब्द है जिसका मतलब छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाया जाने वाले भूलन कांदा से है। इसके पीछे की एक दिलचस्प कहानी है, ऐसा माना जाता है की इस कांदा पर पैर पड़ने से इंसान सब कुछ भूलने लगता है। रास्ता भूल जाता है, भटकने लगता है और जब कोई दूसरा इंसान उस इंसान को छू न ले तब तक उसे होश नहीं आता। फिल्म के बड़े परदे पर रिलीज़ हो जाने के बाद निर्देशक इसे भविष्य में ओटीटी प्लेटफार्म में भी रिलीज़ हैं।