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ब्रेस्ट फीडिंग में कमी और खराब जीवनशैली से बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर, हर 1000 में 10 महिलाएं प्रभावित

Breast Cancer Symtoms: रायपुर राजधानी के सरकारी अस्पताल में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर व निजी में ब्रेस्ट कैंसर के केस ज्यादा आ रहे हैं।

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ब्रेस्ट फीडिंग में कमी और खराब जीवनशैली से बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर(photo-unsplash)

ब्रेस्ट फीडिंग में कमी और खराब जीवनशैली से बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर(photo-unsplash)

Breast Cancer Symtoms: छत्तीसगढ़ के रायपुर राजधानी के सरकारी अस्पताल में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर व निजी में ब्रेस्ट कैंसर के केस ज्यादा आ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह ग्रामीण इलाकों से आने वाली ज्यादातर महिलाएं आंबेडकर अस्पताल में इलाज करवाती हैं। वहीं आर्थिक रूप से सक्षम महिलाएं निजी अस्पतालों की ओर रुख करती हैं।

डॉक्टरों के अनुसार मुख्य वजह यही है। प्रदेश स्तर पर महिलाओं में सबसे ज्यादा कैंसर सर्वाइकल यानी गर्भाशय के मुख का कैंसर होता है। वहीं नेशनल लेवल पर ब्रेस्ट कैंसर के केस ज्यादा हैं। नेशनल लेवल पर महिलाओं में सबसे आम ब्रेस्ट कैंसर है। इसके बाद गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) व डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर भी शामिल है। छत्तीसगढ़ स्तर की बात करें तो इसमें पहले नंबर पर सर्वाइकल कैंसर का स्थान है। फिर ब्रेस्ट व दूसरे कैंसर है।

Breast Cancer Symtoms: निजी में हर 1000 में 10 महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर

सरकारी व निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के अनुसार पहले की तुलना में केस बढ़े हैं। इसकी मुख्य वजह जीवनशैली व खानपान में बदलाव भी है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज स्थित कैंसर रीजनल सेंटर में 5 साल में 3832 यानी 20-25 फीसदी मरीज अभी तक जीवित है।

यहां ब्रेस्ट कैंसर के 36 प्रतिशत ( 2043 में 733) व गर्भाशय ग्रीवा के 30 प्रतिशत मरीज (2991 में 871) अभी स्वस्थ हैं। अन्य कैंसर के 8731 मरीजों का इलाज किया गया। इनमें 15 प्रतिशत यानी 1343 मरीज स्वस्थ हैं। इसमें फेफड़े, ब्रेन ट्यूमर, हड्डी का कैंसर, ब्लड कैंसर, पेट व आंत से जुड़े कैंसर, आंख, किडनी आदि कैंसर के मरीज शामिल हैं। ग्रामीण महिलाओं में सबसे ज्यादा केस सर्वाइकल के आए।

गलत जीवनशैली और खानपान से बढ़े कैंसर के मामले

राजधानी के निजी अस्पतालों में हर 1000 महिला मरीजों में ब्रेस्ट कैंसर के 10 मरीज निकलती हैं। ये महिलाएं आर्थिक रूप से संपन्न घरों से है। केस हिस्ट्री के दौरान पता चलता है कि ये महिलाएं ब्रेस्ट फीडिंग में बिल्कुल ध्यान नहीं देती। ब्रेस्ट में गांठ होने पर लापरवाही बरती जाती है। समय पर जांच नहीं होने पर बीमारी सेकंड से थर्ड स्टेज पर पहुंच जाती है। ऐसे में बीमारी बढ़ जाती है और इलाज में दिक्कत होती है।

डायरेक्टर संजीवनी कैंसर अस्पताल डॉ. युसूफ मेमन ने कहा की शहरी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की मुख्य वजह ब्रेस्ट फीडिंग नहीं कराना तो है ही, जीवनशैली व खानपान में बदलाव भी है। स्व परीक्षण कर ब्रेस्ट में गांठ का आसानी से पता लगाया जा सकता है। समय पर जांच व इलाज होने से बीमारी ठीक हो जाती है। अस्पताल में आने वाली महिला मरीजों में ब्रेस्ट कैंसर के केस ज्यादा है।

ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण...

सीनियर कैंसर विशेषज्ञ व डीन नेहरू डॉ. विवेक चौधरी ने कहा की मेडिकल कॉलेज ग्रामीण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के केस ज्यादा होने का प्रमुख कारण कम उम्र में शादी है। हालांकि ये ट्रेंड बदला है, लेकिन केस अभी भी अच्छे खासे आ रहे हैं। माहवारी के दौरान हाइजीन मेंटेन नहीं करने से भी महिलाओं में ये बीमारी होती है। पहले की तुलना में जागरूकता आई है, जो अच्छा संकेत है।

ब्रेस्ट में गांठ व दर्द होने पर 35 वर्षीय महिला की मेमोग्राफी जांच की गई। जांच में ब्रेस्ट कैंसर की पुष्टि हुई। हिस्ट्री लेने पर पता चला कि दो बच्चों को उन्होंने ब्रेस्ट फ्रीडिंग नहीं कराया। शहरी माहौल में पली-बढ़ी महिला को फिगर खराब होने का डर था। हालांकि परिजन उन्हें बच्चों को अपना दूध पिलाने के लिए कहते, लेकिन उन्होंने बोतलबंद दूध को ही महत्व दिया।

45 वर्षीय एक महिला को यूरिन करने में दिक्कत होने लगी। यूरिन में खून भी आने लगा। पैरों में सूजन भी था। जरा सा काम करने पर थकान होती। वजन भी लगातार कम हो रहा था। भूख भी कम लग रही थी। जरूरी टेस्ट कराने पर उन्हें सर्वाइकल कैंसर निकला। दुखद ये कि जब वह अस्पताल पहुंची तो बीमारी थर्ड स्टेज में पहुंच चुकी थी। इलाज के बाद भी जान नहीं बची।


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