Tomar Bandhu: हिस्ट्रीशीटर तोमर भाइयों को पुलिस अब तक पकड़ नहीं पाई है। दूसरी ओर वसूली के पैसे से बनाए आलीशान बंगले की जांच नगर निगम ने भी शुरू कर दी है। रविवार को नगर निगम की टीम हिस्ट्रीशीटर वीरेंद्र सिंह तोमर उर्फ रूबी सिंह और रोहित तोमर के घर पहुंची। उनके रिश्तेदारों से घर निर्माण से संबंधित दस्तावेजों की मांग की गई। इसके अलावा निगम कर्मियों ने उनके घर की नापजोख भी की।
बताया जाता है कि घर का काफी हिस्सा अवैध है। इस पर नगर निगम कार्रवाई की तैयारी में है। दूसरी ओर पुलिस ने आयकर विभाग को भी पूरे मामले की सूचना दे दी है। छापे के दौरान नकदी, जेवर व संपत्ति के कागजात मिले हैं। इस संबंध में आयकर विभाग पूछताछ करेगा।
उल्लेखनीय है कि वीरेंद्र और रोहित के खिलाफ अलग-अलग थानों में करीब 12 अपराध दर्ज हैं। हाल ही में तेलीबांधा इलाके में एक रेस्टोरेंट में प्रॉपर्टी डीलर की जमकर पिटाई की थी। रोहित ने अपने बाउंसरों के साथ मिलकर उसकी जान लेने की भी कोशिश की थी। इस गुंडागर्दी के बाद पुलिस सक्रिय हुई।
रोहित के खिलाफ अपराध दर्ज किया और उसके भाठागांव स्थित निवास सांईविला में छापा मारा। इस दौरान बड़ी संख्या में हथियार, नकदी व जेवर, कर्ज देने के रिकार्ड, कोरे स्टॉम्प, चेक आदि बरामद हुए। इसके बाद पुलिस ने दोनों के खिलाफ आम्र्स एक्ट के तहत भी अपराध दर्ज किया।
बाद में चार लोगों को ने सूदखोरी और अवैध वसूली की शिकायत की। इस पर अलग से अपराध दर्ज किया गया है। इस मामले में उसके भतीजे दिव्यांश प्रताप तोमर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। वीरेंद्र और रोहित की तलाश की जा रही है।
नगर निगम के जोन कमिश्नर हितेंद्र यादव ने बताया कि नगर निगम की टीम ने घर की नापजोख की है। साथ ही मकान निर्माण, भवन अनुज्ञा, टैक्स आदि से जुड़े दस्तावेज लिए गए। इनकी जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अवैध निर्माण के मामले में कार्रवाई की जाएगी।
शहर के कई बड़े नेताओं से सूदखोर वीरेंद्र के संबंध हैं। मंत्री, विधायक आदि के साथ उसके कई पोस्टर शहर में लगते थे। इसके चलते कर्ज लेने वाले इनसे भयभीत रहते थे और ब्याज के नाम पर जितना पैसा मांगते थे, उतना दे देते थे। थानों में शिकायत करने से भी डरते थे।
आरोपी वीरेंद्र सिंह तोमर और उसके भाई रोहित तोमर के खिलाफ अलग-अलग थानों में हत्या, ब्लैकमैलिंग, धोखाधड़ी, गुंडागर्दी, वसूली जैसे कई अपराध दर्ज हैं, लेकिन किसी भी मामले में दोनों को सजा नहीं हुई है। यह सोचने वाली बात है कि इतने अपराध दर्ज होने के बाद किसी में सजा ही नहीं हुई है। इससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। क्या इनके मामलों की सही ढंग से जांच नहीं हुई? पुलिस के चालान में खामियां रह जाती हैं? या गवाहों को डराया-धमकाया जाता है? क्या उन्हें बयान देने से रोका जाता है?
Updated on:
09 Jun 2025 01:19 pm
Published on:
09 Jun 2025 10:35 am